इक बात समज न आई ओ बाबा साईं
हिन्दू है मुसल्मा है तू सिख है या असाई,
कभी ज्ञान गीता का हम को सुनाये
तू पूर्वो के कल में कभी गुण गुनाए
कभी पाए फल तेरे हाथो में दिल की
गुरु ग्रन्थ साहिब की बाते तूने की
हैरान है सारी खुदाई
ओ बाबा साईं
इक बात समज न आई ओ बाबा साईं
जश्न ईद का मंदिरो में मनाये दीवाली के मश्जिद में दीपक जलाए
कभी रामा साईं कभी मौला साईं कही अल्लाह साईं कही भोला साईं
तू करीम है या कन्हाई ओ बाबा साईं
इक बात समज न आई ओ बाबा साईं
तू ही जाने बाबा क्या मजहब हा तेरा
क्यों शिर्डी में आ कर लगाया है डेरा
किसी का है रब तू किसी का खुदा है
तू कहता है रब कब खुदा से जुदा है
तेरी बात में है गहराई ओ बाबा साईं
इक बात समज न आई ओ बाबा साईं
I can’t understand it, O Baba Sai
Are you a Hindu or a Muslim, are you a Sikh or an Asai?
Sometime tell us the knowledge of Gita
You never multiply the virtues of the former
Never get fruit in your hands of heart
You talked about Guru Granth Sahib
Surprised all the digging
oh baba sai
I can’t understand it, O Baba Sai
Celebrate Eid in temples, light a lamp in the mosque of Diwali
Sometimes Rama Sai Sometimes Maula Sai Kabhi Allah Sai Kabhi Bhola Sai
Are you Karim or Kanhai O Baba Sai?
I can’t understand it, O Baba Sai
You only know Baba, what is your religion?
Why have you come and camped in Shirdi?
someone’s lord you are someone’s god
You say when the Lord is separated from God
There is depth in your talk, O Baba Sai
I can’t understand it, O Baba Sai