श्याम आए नहीं, मैं बुलाता रहा
नाम लेकर आवाजें ,लगाता रहा
शीश चरणों में उनके, झुकाता रहा
श्याम निर्मोही नजरें, चुराता रहा
मैंने सोचा यही, प्यार सबसे करूं ईर्ष्या नफरतों से, हमेशा डरु
भूल अपनों ने की ,मैं भुलाता रहा
मीरा जब जब कहे, दौड़ के आ गए
श्याम बैकुंठ को ,छोड़ के आ गए
ठोकर जिसको लगी ,तू उठाता रहा
श्याम आए नहीं, मैं बुलाता रहा
मेरी गलती है क्या ,तू बता दे जरा
मुझको सूरत सलोनी, दिखा दे जरा
भक्ति रस तू जहां को, पिलाता रहा
श्याम आए नहीं ,,,,,
Shyam didn’t come, I kept calling
voices by name, kept on
The head kept bowing at his feet
Shyam ruthless eyes, kept stealing
I thought this, I should love most, jealous of hate, always be afraid
My loved ones made a mistake, I kept forgetting
Whenever Meera says, she has come to run
Shyam has come to leave Baikunth
Whoever hit you, you kept picking
Shyam didn’t come, I kept calling
Is it my fault, please tell me
Please show me Surat Saloni
Wherever you kept drinking devotional juice
Shyam did not come,,,