बस संवरने की चाह मुझको इतनी रहे
सांवरे की नज़र में सँवरता रहूं
जितनी कृपा की मुझपे मेरे श्याम ने
शुक्रिया मैं भी वैसे ही करता रहूं
सांवरे की पड़ी जबसे मुझपे नज़र
अपने हाथो से जीवन सजाया मेरा
मेरे इस दिल में जितने भी अरमान थे
हर एक सपना हकीकत बनाया मेरा
एक छोटी से ख्वाहिश यही अब मेरी
इनकी चौखट ना छूटे मैं जब तक जियूं
जितनी कृपा की मुझपे मेरे श्याम ने
शुक्रिया मैं भी वैसे ही करता रहूं
बस संवरने की चाह ………..
दुनियादारी की मुझको समझ थी नहीं
मेरे अपने ढाते थे मुझपे सितम
सोच करके ही रूह काँप जाती मेरी
हमने देखे हैं अपनों के ऐसे करम
ऐसी हालत में बीते थे मेरे वो दिन
लब हैं खामोश आँखों से मैं सब कहूं
जितनी कृपा की मुझपे मेरे श्याम ने
शुक्रिया मैं भी वैसे ही करता रहूं
बस संवरने की चाह ………..
जिसके लायक भी ना था मिला वो मुझे
तीनो लोकों का स्वामी मिला है मुझे
दुःख के आने की आहट भी होती अगर
गोद में ये उठाकर है चलता मुझे
कोई करता नहीं जितना इसने किया
इतने एहसान मोहित मैं क्या क्या कहूं
जितनी कृपा की मुझपे मेरे श्याम ने
शुक्रिया मैं भी वैसे ही करता रहूं
बस संवरने की चाह ………..
I just want to dress up so much
keep shining in the eyes of the sun
As much grace has been given to me by my shyam.
thanks i keep doing the same
Since dusk fell on me
Decorated my life with your hands
All the desires I had in this heart
every dream made my reality
A small wish, this is my now
Don’t leave their door till I live
As much grace has been given to me by my shyam.
thanks i keep doing the same
Just want to dress up…………
I didn’t understand the world
I used to scold me
My soul trembles just by thinking
We have seen such deeds of loved ones
My days were spent in such condition
I say everything with my silent eyes
As much grace has been given to me by my shyam.
thanks i keep doing the same
Just want to dress up…………
I got what I didn’t deserve
I have found the lord of the three worlds
If there was a sound of sorrow coming
Carrying this in my lap walks me
no one does as much as it did
So much favor Mohit what can I say
As much grace has been given to me by my shyam.
thanks i keep doing the same
Just want to dress up…………