तडपत है मन दर्श की खातिर
श्याम मोहे तरसाओ ना
तडपत है मन दर्श की खातिर
ये सांसे कही रुक न जाए,
आओ भगवन आओ ना
तडपत है मन दर्श की खातिर
क्या मैं यत्न करू मोरे भगवन
दर्श तेरा कर पाऊ मैं
दर पर तेरे कब से खड़ा हु
आके दर्श दिखाओ न
तडपत है मन दर्श की खातिर
मोर मुकट सिर सवाली सूरत,
सोहे बंसुरिया होठो पर,
एसी छवि आँखों में वसी है,
मोहे श्याम रुलाओ न
तडपत है मन दर्श की खातिर
तू दाता को भाग्ये विध्याता
तू संसार का रखवाला,
अपने भगतो की तू सुनता आओ देर लगाओ ना
तडपत है मन दर्श की खातिर
yearning for the sake of the mind
shyam mohe tarsao na
yearning for the sake of the mind
Don’t let this breath stop
come god come
yearning for the sake of the mind
may i try more god
I can see you
Since when have I been standing at your rate?
don’t show me
yearning for the sake of the mind
peacock crown head question surat,
Sohe bansuria on the lips,
Such an image is in the eyes,
Mohe Shyam don’t cry
yearning for the sake of the mind
you give luck to the giver
You are the keeper of the world,
Come listen to your brothers, don’t delay
yearning for the sake of the mind