भादो की आधी रात में जन्मे है कृष्ण कन्हाई
गोकुल में बजी है बधाई आज गोकुल में बजी है बधाई
मथुरा में जन्मे कान्हा गोकुल पधारे
हर्षित हुए हैं आज गोकुल जन सारे
पैदा होते ही कैसा खेल दिखाया
पहरे दारो को कैसी नींद सुलाया
रचदी है लीला अपनी माया है मथुरा पहुंचाई—–
दीपो से चमके जगमग सारी ही बस्ती
तीनों लोको में आज छाई है मस्ती
मैया यशोदा देखे कान्हा का मुखड़ा
मेरे कलेजे का तू है रे टुकड़ा
मस्तक चूमे लला का फूली ना आज समाई —–
दर्शन पाने कान्हा का सब दौड़े आए
अनेको खिलोने उपहार में लाए
विजय बनाके लाया शब्दो की माला
अर्पण है पहनो माँ यशोदा के लाला
नन्द बाबा करे बड़ाई आज खुशी की रूत आई ——
Krishna Kanhai is born in the midnight of Bhado
Congratulations are ringing in Gokul Today congratulations are ringing in Gokul
Born in Mathura, Kanha came to Gokul
All the people of Gokul have become happy today
How did you play as soon as you were born?
How did the guard doors sleep?
He has created Leela, has brought his Maya to Mathura—–
The whole township lit up with lamps
Today there is fun in all the three lokas
Maya Yashoda see Kanha’s face
Tu hai re piece of my heart
The head kisses Lala’s flowery does not engulf today —–
Everyone came running to Kanha to have darshan.
brought many toys as gifts
The garland of words brought by victory
The offering is worn by mother Yashoda’s Lala
nand baba brag today the stream of happiness came——