तर्ज- बनाके क्यों बिगाड़ा रे बिगाड़ा रे नसीबा
गुराजी मोहे दीना रे हा दीना रे गुरूवर ज्ञान यह मुझको
जब मैं आया था दुनिया में रहा ज्ञान विना हीना रे
आप बिना कोई दूजा ना देखा आपका सरना लीना रे
आपका हाथ हो सर पर मेरे,हा दीना रे गुरूवर ज्ञान यह मुझको
इस संसार की रीत पुरानी चाल चले जैसे मीना रे
आप हो मेरे पीव गुसाई दिया ज्ञान पंथ जीना रे
आप जगत मे मुक्ति के दाता हां दीना रे गुरुवर ज्ञान यह मुझको
मन चंचल चित्त ज्ञान परम पद गुरु ज्ञान हम चीना रे
दिल अंदर दीदार दरशिया जयोति प्रकाश है कीना रे
आप अधम के अधम उधारण हा दीना रे गुरुवर ज्ञान यह मुझको
रंग वरण निज रूप परखिया अमरस प्याला पीना रे
एक अरज सुनो रमेश उदासी की जड़ी भजन री दीना रे
आप दयालु दया में स्वामी हा दीना रे गुरुवर ज्ञान यह मुझको
लेखक- नरेंद्र बैरवा,
संजय कॉलोनी, गंगापुर सिटी
The lines- why did you make spoiled re bada re naseeba?
Guraji Mohe Dina Re Ha Dina Re Guruvar Gyan this to me
When I came I stayed in the world Gyan Vina Heena Re
You haven’t seen any other without your Sarna Leena Re
Your hand is on my head, Ha Dina Re Guruvar, this knowledge gives me
Follow the old ways of this world like Meena Re
You are my pew angry diya knowledge panth jina re
You are the giver of salvation in the world, yes Dina Re Guruvar, this knowledge gives me
mind restless mind knowledge supreme pad guru knowledge hum china re
Heart is inside Deedar Darshiya Jyoti Prakash Hai Kina Re
You are the iniquity of the adamant, ha Dina Re Guruvar, this knowledge is given to me.
Color Varna Personal Roop Perkhiya Amaras Cup Peena Re
Ek Arj Suno Ramesh Udasi Ki Jadi Bhajan Ri Dina Re
Swami Ha Dina Re Guruvar Gyan this to me in you merciful mercy
Sanjay Colony, Gangapur City