सांझ सवेरे संवारे मेरे कान्हा कान्हा गाती हु,
सच कहती हु संवारे मेरे मन की शांति पाती हु
सांझ सवेरे संवारे मेरे कान्हा कान्हा गाती हु,
मैंने तुझसे प्रीत लगा ली है
तेरी बांसुरी मन में रमा ली है
मिल जाए प्रेम तुम्हारा मोहन बस इतना ही चाहती हु
सांझ सवेरे संवारे मेरे कान्हा कान्हा गाती हु,
मेरी रूह में तुम्ही समाये हो
मेरे रोम रोम में छाए हो
मन वृन्दावन तीरथ मथुरा छवि तेरी ही पाती हु
सांझ सवेरे संवारे मेरे कान्हा कान्हा गाती हु,
शब्दों का हार बनाया है गोपी का हाल सुनाया है,
प्रेम दीवानी कहे मानसी भजन से भाव बताती हु
सांझ सवेरे संवारे मेरे कान्हा कान्हा गाती हु,
I sing my kanha kanha in the evening.
Telling the truth, I find my peace of mind
I sing my kanha kanha in the evening.
i have fallen in love with you
Your flute has rammed in my mind
Found love your Mohan is all I want
I sing my kanha kanha in the evening.
you are in my soul
my rome is in rome
My mind Vrindavan Tirath Mathura image is only yours
I sing my kanha kanha in the evening.
Have made a necklace of words, have told the condition of Gopi,
I tell love from Mansi Bhajan called Prem Deewani
I sing my kanha kanha in the evening.