दर्शन को अखियाँ प्यासी है
कब दर्शन होगा श्यामधनी,
मुझ निर्धन के घर आँगन में कब आवन होगा श्याम धनि
दर्शन को अखियाँ प्यासी है
मेरे घर में तुम्हे बिठाने को ना चोंकी न सिंगासन है,
ना दीपक है न बाती है ना अक्शत है न चन्दन है,
शदा के फूलो से अभिनंदन होगा श्याम धनि
दर्शन को अखियाँ प्यासी है
सावन भादों दोनों बीते और बीती होली दीवाली है,
पर मुझे देखने नही मिली तेरी सूरत भोली भाली है
ना जाने किस दिन अखियो को पग प्रसन होगा श्याम धनि
दर्शन को अखियाँ प्यासी है
Darshan is thirsty for eyes
When will Shyamdhani have darshan,
When will I come in the courtyard of the poor house, Shyam Dhani
Darshan is thirsty for eyes
There is neither chonki nor singasan to make you sit in my house,
There is no lamp, no wick, no infirmity, no sandalwood,
Shyam Dhani will be greeted with flowers of Shada
Darshan is thirsty for eyes
Sawan Bhadon both past and past Holi is Diwali,
But I did not get to see your face is innocent
Don’t know on which day Akhiyo will be happy with Shyam Dhani
Darshan is thirsty for eyes