मत फोड़ गगरिया मोरी

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मत फोड़ गगरिया मोरी,समजावे राधा तोरी,
कान्हा मान जाओ न
सांवरियां यमुना पर काहे मटकियाँ फोड़ दी मोरी

मैं बरसाने की राधा तू गोकुल का है ग्वाला
तेरा मेरा मेल नही है मैं गोरी तू काला,
फिर थामे कलियाँ मोरी मोसे कर न जोर जोरी
तरस अब कुछ तो खाओ न
सांवरियां यमुना पर काहे मटकियाँ फोड़ दी मोरी

काहे सतावे मुझको रुलावे छेडे बीच डगरिया
टूटे न वृंदावन टेडा टेडी तेरी नगरियाँ
सांवरिया सुन लो मोरी तुझसे बांधे प्रीत की डोरी
कन्हियाँ छोड़ो शरात्र न
सांवरियां यमुना पर काहे मटकियाँ फोड़ दी मोरी

उठ गया हाथ जो जिस कान्हा मार पड़े गी भारी
बरसाने की कवे गुजरियां सुन लो कृष्ण मुरारी
मेरे सिर पर धरी कमोरी
अब फोड़ो न मटकी मोरी
नागर की बिगड़ी बनाओ न
सांवरियां यमुना पर काहे मटकियाँ फोड़ दी मोरी

Don’t break Gagaria Mori, understand Radha Tori,
don’t agree kanha
Why did Saawariya burst the pots on Yamuna?

Main Barsane ki Radha, you are the cowherd of Gokul
You are not my match, I am white, you are black,
Then hold the buds, don’t push hard
don’t eat anything now
Why did Saawariya burst the pots on Yamuna?

Why did you make me cry?
Tote na vrindavan teda teddy teri nagariyan
Listen to saawariya, tujhse bandhe preet ki stringi
Don’t leave girls naughty
Why did Saawariya burst the pots on Yamuna?

The hand that got up, whichever Kanha would hit, got heavy.
Listen to the songs of rain, Krishna Murari
my head
Now don’t burst the matki mori
don’t spoil the city
Why did Saawariya burst the pots on Yamuna?

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