हरि मैं तो लाख यतन कर हारी।
महलन ढूंढा, गिरिबन ढूंढा, ढूंढी दुनिया सारी॥
गोलुक कुंज गली में ढूंढा, ढूंढा वृन्दावन में।
डाल डाल से, फूल पात से, जा पूछा कुंजन में।
बीती की सब कहे हरि ना अब की कहे बनवारी॥
कोई कहे श्री राम है क्या या गौरी काली मैया।
मैं कहू नहीं गोपाल हैं वो एक बन में चरावे गैया॥
उमापति परमेश्वर नहीं, ना नारायण भयहारी।
मीरा का हृदय विहारी, मीरा का हृदय विहारी॥
अंग पीताम्बर मोरे मुकुट, सर माला गले सुहावे।
बहुरूपी बड़े रूप धरे, जिस नाम बुलावो आवे॥
मीरा कहे अब लाज रखो प्रभु आवो मुरली धारी॥
Hari, I lost with a lot of effort.
Find Mahalan, Find Giriban, Find the whole world.
Find it in Goluk Kunj street, find it in Vrindavan.
From putting a flower, from a flower, go asked in Kunjan.
Say everything of the past, neither Hari nor now says Banwari.
Somebody says what is Shri Ram or Gauri Kali Maiya.
I can’t say Gopal is he, he grazed in a bun.
Umapati is not God, nor Narayan is fearful.
Meera’s heart is Vihari, Meera’s heart is Vihari.
Anga Pitambar More crown, Sir garland, throats are pleasant.
Many forms take on big forms, whatever name you call.
Say Meera, now keep your shame, Lord, come hold the murli.