फिर क्यों बुला हरी का नाम जब वचन दिया है तूने
जब वचन दिया है तूने
फिर क्यों बुला हरी का नाम जब वचन दिया है तूने
जब गरव में तुझे लटकाया तूने बार बार फरमाया
मैं तुझे भूलू न मेरे राम जब वचन दिया है तूने
उस नरक से तुझे छुड़ाया और देदी सुंदर काया,
तू रहे गोद में सुबह शाम जब वचन दिया है तूने
पड लिख तुझे आये जवानी तूने बात किसी की न मानी
अब तुझे पकड़ रहा है काम जब वचन दिया है तूने
जब निश्त जग से जाए फिर दिल क्यों किसी का दुखाये
भारद्वाज कामुल जाए उसके धाम जब वचन दिया है तूने
Then why call Hari’s name when you have promised
when you promised
Then why call Hari’s name when you have promised
When you hanged you in pride, you repeatedly said
I will not forget you, my Ram, when you have promised
rescued you from that hell and your beautiful body,
You are in your lap in the morning and evening when you have promised
You did not listen to anyone’s words.
Now work is catching you when you have promised
When the fixed goes from the world then why should the heart hurt anyone
Bharadwaj Kamul go to his abode when you have promised