सुनो अवध के वासियों सिया के राम

images 64

सुनो अवध के वासियों
सुनो अवध के वासियों, मर्यादा का सार
पुरूषोत्तम श्री राम की, कही कथा विस्तार

सुनो अवध के वासियों, कथा अयोध्या राम की
जन्म लिए रघुवर जहाँ, उन्हीं सिया के राम की
सुनो अवध के वासियों…….

अवध के स्वामी दशरथ राजा, तीन रानियों के महाराजा
पुत्र प्राप्ति वो यज्ञ कराये, तीन रानियों ने सुत जाए
भरत शत्रुघ्न लक्ष्मण रामा, समायें होत गये गुरूकुल धामा
गुरू वशिष्ठ से शिक्षा पाई, किशोरावस्था हो गये आई

पधार विश्वामित्र अयोध्या, रिपु को बताई विकत समस्या
राम लखन चलें वन को लिवाई, ताड़ अहिल्या ताड़का मारे
दुष्टों से संतन को उबारे, गुरू संग फिर विदेह पधारे

सीता माता का स्वयंवर, तोड़ दिए शिव धनुष श्री रघुवर
चारों कूँवर का व्याह रचाई, जनक अवधपति सब हर्षाये

समय गया कुछ बीते जब, दशरथ किए विचार
राज तिलक करो राम का, रिति नीति अनुसार

मंथरा ने की कुतिलाई, कैकेयी की मति भंग करवाई
गयी कैकेयी कोपभवन वो, माँग लिए दो दिए वचन को
राजतिलक करो भरत लाल की, आज्ञा राम को देश निकाल की
देख कैकेयी का यह रूपा, भूमि गिरे वचन सुनी भूपा

सुनी वचन पितु मात के, राम गये तब आय
रघुकूल रिति घटे नहीं, आज्ञा लिए शिरोधाय

जाने लगे जब रघुवर वन वो, संग चली सिया छोड़ सुखन को
सति सिया रघु की परछाई, धर्म पतिव्रता का है निभाई
पथरी ले पथ पर पग धारे, चले विदेह की ये सुकुमारी
वर्षा धुप सहे दिन रैना, पर हर्षित थे उर और नैना

वन वन घुमे जानकी, राम लखन संग आए
प्रेम त्याग की मुरते, जनक नंदिनी माँ

मन में उमंग लिए, सिया प्रेम रंग लिए
अवधपति के संग, वन वन जाती है
कभी चले नैया वन, तो कभी खिवैया वन
राम के लिए, हर धर्म निभाती है
राज भोग छोड़ के, रूखी सुखी खाई सिया
कभी कभी तो पिके, जल रह जाती है
लाज रघुकूल की है, मर्यादा राम की तो
माता वन लखन पे, ममता लुटाती है
सेवा दिन रात करें, स्वामी श्री राम की तो
श्रद्धा संग सुमन नित, चरण चढ़ाती है

प्रेम सुधा ये रघु की गरिमा, कठिन है वरण सिया की महिमा
समय गये कुछ इत्थन होनी, स्वर्णमृग पर सिया लुभानी
मृग लाने तब गये रघुनंदन, घात लगाये बैठा दशानन
गये लखन जब खिंच के रेखा, उचित अवसर रावण देखा

ब्राह्मन बनकर की चतुराई, भूख प्यास की व्यथा सुनाई
कोमल सरल सिया नहीं जानी, रावण का छल नहीं पहचानी
रेखा लांघी धर्म में पर कर, ले चला रावण मुख बदल कर
रोये सिया सति बहु अकुलाई, कहाँ हो आव हे रघुराई
कोई सिया का नहीं सहायक, ले गया लंका लंकानायक

सोने की लंका सिया, त्याग के रख निज मान
अशोक वाटिका में रही, बचा के स्वाभिमान

Hear people of Awadh
Listen, people of Awadh, the essence of dignity
Purushottam Shri Ram’s story detail

Listen the people of Awadh, the story of Ayodhya Ram
Raghuvar Jahan was born, the same Siya’s Ram
Listen people of Awadh……

Dasharatha Raja, lord of Awadh, Maharaja of three queens
To get a son, make that yajna, three queens get spun
Bharat Shatrughna Lakshmana Rama, the Gurukul Dhama has disappeared
Received education from Guru Vashistha, became adolescence

Vishwamitra arrived in Ayodhya, told Ripu the problem
Let Ram Lakhan Chalein get the forest covered, Tad Ahilya Tadka Mare
Get rid of the children from the wicked, come again to Videha with the Guru

Sita Mata’s Swayamvar, Shiv Dhanush broke Sri Raghuvar
All the four cows were married, Janaka Avadhapati was all happy.

Time passed when Dasharatha thought
Do Raj Tilak of Ram, according to the customs policy

Manthara misbehaved, got Kaikeyi dissolved
He went to Kaikeyi Kopbhavan, asked for the promise given to him
Do the coronation of Bharat Lal, order to expel Ram from the country
Seeing this form of Kaikeyi, Bhupa heard the words falling on the ground

Listened to the words of Pitu Maat, when Ram went, he came
Raghukul Riti did not decrease, Shirodhay for permission

When Raghuvar started leaving the forest, he left Siya with Sukhan.
Sati Siya is the shadow of Raghu, played by religion
Take the stone and walk on the path, let this sweetness of Videh go
Raina on a sunny day, but Ur and Naina were happy

Janaki roamed one forest, Ram came with Lakhan
Mother of love sacrificed, mother Nandini

With enthusiasm in the mind, Siya has got love in color
With Awadhapati, the forest goes to the forest
Sometimes the Naiya forest goes, then sometimes the Khivaiya forest
For Ram, every religion plays
Leaving the enjoyment of Raj, Siya ate dry and happy
Sometimes it ripens, water remains
The shame is of Raghukool, the limit is of Ram.
Mata Van Lakhan Pe, Mamta spends
Do service day and night, Swami Shri Ram
With reverence, Suman climbs her feet

Prem Sudha is the dignity of Raghu, it is difficult, but the glory of Siya
Time has gone to have some faith, Siya will love the golden deer
Raghunandan went to fetch the deer, Dashanan was ambushed
When Lakhan went to stretch the line, Ravana saw the right opportunity

The cleverness of becoming a Brahmin, told the agony of hunger and thirst
The gentle simple Siya did not know, did not recognize the deceit of Ravana
Crossing the line in religion, but took away Ravana by changing his face
cried siya sati bahu Akulai, where are you?
No helper of Siya, took Lanka to Lanka

Lanka of gold, keep your respect by giving up
Stayed in Ashok Vatika, saved self respect

Share on whatsapp
Share on facebook
Share on twitter
Share on pinterest
Share on telegram
Share on email

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *