ठंडाई की ग्लाससा, में तोह गट गट गटथास्य ,
भजन की मेला में तोह हाँ चुप , थारी म्हारी गास्याी
पिचकारी की धारियां, भीझे म्हांकी साड़ियां
कहूं नंदकिशोर है म्हारो , मत कर तू बदमाशियां
सज धज कर में आवा रंग अबीर गुलाल उड़वा
थारे संग में होली खेला काल मिलला दुबारा
ऐसो रंग चढस्या पूरा साल नहीं में उतारा
नाच गाय कर होली खेला देखा अजब नज़ारा
“शशि” की अभिलाषा होरियाँ गाय गाय रिझाश्या
नित नवा नवा भजन सुना में श्याम धणी ने माणस्यां ी
शशिकला परवाल,, ((वर्मा)
हैदराबाद
८३०९०४८९८९
Glass of Thandai, Mein Toh Gat Gat Gathasya,
Toh yes silent in the hymn fair, Thari Mhari Gasyi
Pichkari stripes, Bhijhe Mhanki saris
I say Nandkishore, don’t do mischief
Aabir Gulal Udwa in the decoration
Played Holi with Thare, Kaal Milla again
Aiso Rang Chadhasya was not lowered in the whole year
Played Holi by singing and dancing, saw a wonderful sight
Desire of “Shashi” Horiyan cow cow Rizhashya
Shyam Dhani ate meat in Nit Nava Nava Bhajan Suna
Shashikala Parwal, ((Verma)
Hyderabad