थारो दूध छे केवल ब्रम्ह , संजोणी हरी की कामधेनु हो
कामधेनु तो आकाश रहती , ह्रदय चारो चरती
तिरवेणी को पाणी पीती , भाई रे उनी मुनि करत गोठाण
साँझ पड़े संजोणी घर आवे , ओहम भजतों तानो
मन वाछरू उल्टो ध्यावे , भाई रे मेल्यों ते प्रेम को पानों
सतगुरु आसण धुवण बैठे , तुरिया दोहणी हाथ
अनहद के घर घुम्मर बाजे , दुह ते अखंड दिन रात
ब्रम्ह आगन पर दूध तपायो , क्षमा शांति लव लागी
अरद उरद म दही जमायो , ब्रम्ह म ब्रम्ह मिलाय
ओहम शब्द की रवि बणाई , घट अंदर लव लागी
माखन माखन संत बिलोयो , भाई रे छांछ जगत भरताय
कामधेनु सतगुरु की महिमा , बिरला जण कोई पावे
कहे जण सुंदर गुरु की किरपा , भाई रे जोत माँ जोत समाय
Tharo milk chhe only brahm, sanjoni hari ki kaamdhenu
Kamdhenu is the sky, the heart is grazing all around
Tirveni used to drink water, brother Re Uni Muni Karat Gothan
Sanjoni come home in the evening, Ohm hymns tano
Man vachru ulto dhyave, brother re melyon te love ko panan
Satguru sitting dhuvan, turiya double hand
Ghummar baje at Anhad’s house, duh te akhand din night
Pour milk on the fire of Brahma, forgiveness, peace, love will apply
Put curd in urad urad, mix brahm in brahm
Ravi made the word Ohm, Ghat inside love will lagi
Makhan Makhan saint billyo, brother re buttermilk world
The glory of Kamdhenu Satguru, Birla Jan Koi Paave
Say Jana Sundar’s guru, Bhai Re Jot Maa Jot Samay