राज़ी तेरी रज़ा में मुझे एतराज़ क्या हैं

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राज़ी तेरी राजा में मुझे एतराज़ क्या हैं,
तेरे पास बिजलिया हैं मेरे पास आशियाना,
तेरे नाम ने बना दी मेरी ज़िन्दगी फ़साना.
मुझे इसका गम नहीं हैं कि बदल गया ज़माना,
मेरे ज़िन्दगी के मालिक, कहीं तुम बदल न जाना,

वो जो इश्क था मोनो वो जूनून था,
लेकिन ये जो विरह, मानों ये मेरा नसीब हैं,
तेरी बंदगी से पहले मुझे कौन जानता था,

शायद इसे को इश्क कहते हैं कि खुद-ब-खुद इस दिल में एक शख्स समाया जाता है
तेरी आशिकी से पहले मुझे कौन जानता था,
तेरे नाम ने बना दी, मेरी जिंदगी फ़साना.
मेरी जिंदगी फ़साना.
वो जो इश्क था एक जूनून था,
लेकिन ये जो हिज्र, ये नसीब हैं,

जो तुमको भूल जाये वो दिल कहाँ से लाऊं
जो तुमको भूल जाये वो दिल कहाँ से लाऊं
दिल हैं तो दिल में क्या हैं कैसे तुम्हें बताऊँ
दिल हैं तो दिल में क्या हैं कैसे तुम्हें बताऊँ

मेरे दिल का क्या राज गम हैं , तू हैं बेमियाज़ गम से

तुम क्या जानों किसी के दर्द-ए-दिल की दास्तान?
तुम संयोग के नित्य सीमा हो,
कहीं ना कहीं तुम्हारी इफ्दारी, मटरगस्ती,
मिलना जुलना चलता रहता हैं, तुम क्या जानों?
क्यों, तुम बहु नायक हो, एक के नहीं बहु नायक,
अनेकों के नायक, राजा हो
और मैं क्या हूँ प्यारे  एकल प्रिय,
बस एक तन ही प्रीत हुई हैं,
तुम नहीं आते तो तुम क्या जनों दिल की तड़पन को,

मेरे दिल का क्या राज गम हैं , तू हैं बेमियाज़ गम से,
तुझे अपने दर्द-ए-दिल की क्या दास्ताँ सुनाऊँ,
जो तुमको भूल जाये वो दिल कहाँ से लाऊं
दिल हैं तो दिल में क्या हैं कैसे तुम्हें बताऊँ

मेरे दिल की बेबसी के अरमान थक गए हैं,
क्यों थक गये?
परसों हरी आवन कह जो गए,
कब आवेगी वो बैरन परसों,
मेरे दिल की बेबसी के अरमान थक गए हैं,
ऋतुराज ने ली अगड़ाई, मुस्काई हर डाली
ऋतुराज ने …….
लता देव करू पुष्प वन में नाच रही हरियाली
ऋतुराज ने जीवन फूँका, मुस्काई हरि डालो,
लहराओं कुछ ह्रदय कुञ्ज में,

लहराओं कुछ ह्रदय कुञ्ज में, मेरे उजड़े चमन के बाग़बा,
मेरे मन उपवन के कोपिल ,
लहराओं कुछ ह्रदय कुञ्ज में, ओ मेरे वनमाली,
पूर्ण कर दो भर दो अब तो प्रेम पियूष अटारी,

मेरे दिल की बेबसी के अरमान थक गए हैं,
प्यारे क्यों थक गये?
थारों से पूछिए ना किसी गुल से पूछिए,
सदमा चमन के लुटने का बुलबुल से पूछिए,

मेरे दिल की बेबसी के अरमान थक गए हैं,
तेरी के नज़र हैं अब और चल ना पाऊँ,
जो तुमको भूल जाये वो दिल कहाँ से लाऊं
दिल हैं तो दिल में क्या हैं कैसे तुम्हें बताऊँ
हे गोविन्द ….. हे गोपाल
सपनों में आने वाले, तुम बिन सुनी हैं साँझ बहारें,
सपनों में आने वाले, सुनी हैं साँझ बहारें,
सपनों में आने वाले, सुनी हैं प्राण हवा रे,

ओ मधुवन के रखवारे, सुनी हैं साँझ बहारें,
जब याद तेरी आती हैं, तड़पन आहे लाती हैं,
रातों को जगाने वाले, अब जाये किसे पुकारे?
ओ मधुवन के रखवारे, सुनी हैं आज बहारें,
गोविन्द … गोपाल
मेरे प्यार प्यारे श्याम …. सलोने मधुसुदन घनश्याम …
संवारे हे नयनन अभिराम …
मेरे प्यारे सुन्दर श्याम… दरश दो गिरधारी बनवारी ..
मेरे प्यार प्यारे श्याम …. मेरे श्याम ….. श्याम …
मेरे श्याम मेरे श्याम

श्याम …… मेरे श्याम ……
हैं याद तेरी इतनी मिठ्ठी, इसे दिल में बसाये बैठी हूँ,
तश्वीर तेरी रसिया प्रीतम, नयनों में छिपाये बैठी हूँ,
अरमान तुम्हारे मिलने के हैं, दिल में बहुत घनश्याम मेरे,
उन अरमानों से इस दिल की, मैं दुनिया बसाये बैठी हूँ,

कब आओगे……
कब आओगे, कुछ खबर तो दो,
बेचैन हैं दिल इस बिरहन का,
कब से मैं तुम्हारी राहों में, पलकों को बिछाए बैठी हूँ,
कब आओगे, कुछ खबर तो लो,
बेचैन हैं दिल इस बिरहन का,
कब से मैं तुम्हारी राहों में, पलकों को बिछाए बैठी हूँ,
देखों मैं मानती हूँ
मैं दिन दुखी गुणहिन सही, पर तुम तो करुना सागर हो,
तेरी करुना पर ही हे प्रीतम, मैं आस लगाये बैठी हूँ,
मैं काबिल न सही पर शोक तो हैं,
दीदार तुम्हारे का मोहन,
दीदार तुम्हारे का मोहन,
इस दाव पे अपने जीवन की, मैं बाज़ी लगाये बैठी हूँ,
मेरे प्यार प्यारे सुन्दर श्याम …. सलोने मधुसुदन घनश्याम …
मेरे प्यारे प्यारे सुन्दर श्याम… दरश दो गिरधारी बनवारी ..
हे गोविन्द …  हे गोपाल ….

मान गुहार पुकार थकी मैं तो, निस दिन साँझ सवेरे,
निस दिन साँझ सवेरे,
हार गयी मैं तो बाट जोहती, हाय, आये नाथ ना मेरे,
हार गयी मैं तो बाट जोहती, आये नाथ ना मेरे,
आकर के कोई इतना तो सखी सन्देशा कह जाता,
चलते हुए प्राणों पे सजनी, आँखों का आग्रह रह जाता,

घायल सी मैं तो तड़प रही हूँ, किस को व्यथा सुनाऊँ?
किस से पुछू, कहूँ सन्देशा, पाती कहाँ पठाऊँ?
हाय बटोही भी अब कोई इधर नहीं आते हैं,
देख दूर से मुझ दुखिया का घर की कर जाते हैं,

रही पड़ी द्वार पर मैं हु, अन्त घड़ी जीवन की,
पूर्ण करों हे नाथ, एक लालस दर्शन की,
पूर्ण करों हे नाथ, हे नाथ … हे नाथ …
पूर्ण करों हे नाथ, अब एक लालस दर्शन की,
एक लालसा दर्शन की,
आओं तो एक बार नयन में, मोह तुम्हें मैं लुंगी,
देखूंगी फिर ना किसी को उन्हें ना देखने दूंगी,
देखूंगी फिर ना किसी को उन्हें ना देखने दूंगी,
सांवरे सांवरे सुन्दर सुन्दर, आजाओं नैनों के अन्दर,
सांवरे सांवरे सुन्दर सुन्दर, आजाओं नैनों के अन्दर,
मैं तुम पर ही बलिहारी, दरश दो गिरधारी बनवारी,
मैं तुम पर ही बलिहारी, दरश दो गिरधारी बनवारी,
मेरे प्यार प्यारे श्याम …. मेरे प्यार प्यारे श्याम ….
मेरे प्यारे सुन्दर श्याम… दरश दो गिरधारी बनवारी ..
मेरे श्याम मेरे श्याम श्याम …..
मेरे श्याम राधे श्याम मेरे श्याम ….
मेरे प्यार श्याम आओं श्याम
मेरे प्यारे प्यारे सुन्दर श्याम …………
मेरे प्यारे प्यारे सुन्दर श्याम… दरश दो गिरधारी बनवारी ..
दरश दो गिरधारी बनवारी ..
मेरे प्यारे प्यारे सुन्दर श्याम …
हाँ कृष्ण प्यारे हाँ श्याम प्यारे ..
हाँ कृष्ण प्यारे हाँ श्याम प्यारे ..
हे गोविन्द गोविन्द गोविन्द

सपनों में तुम नित आते हो,
सपनों में तुम नित आते हो, मैं हूँ अति सुख पाती,
प्यारे मैं हूँ अति सुख पाती, मैं हूँ अति सुख पाती,
मिलने को उठती हूँ तो, बैरन आँख तुरन्त खुल जाती,
मिलने को उठती हूँ तो, बैरन आँख तुरन्त खुल जाती,

सपनों में तुम नित आते हो, मैं हूँ अति सुख पाती,
मैं हूँ अति सुख पाती,
मिलने को उठती हूँ तो, बैरन आँख तुरन्त खुल जाती,
असहनीय उस समय विरह में विरह वेदना होती,
सो कर खोती हैं दुनिया,
सो कर खोती हैं दुनिया, मैं हाय जागकर खोती,
सो कर खोती हैं दुनिया, मैं हाय जागकर खोती,
मैं हाय जागकर खोती,
सो कर खोती हैं दुनिया, मैं हाय जागकर खोती,
सांवरे सांवरे सुन्दर सुन्दर, आजाओं मेरे मन के अन्दर,
आजाओं मेरे मन के अन्दर,
मैं चरण कमल पे वारी, दरश दो गिरधारी बनवारी
मैं चरण कमल पे वारी, दरश दो गिरधारी बनवारी
दरश दो गिरधारी बनवारी ..

देता हैं तू
देता हैं तू जिन्हा पपीहा,

देता हैं तू जिन्हा पपीहा, हवा किवाड़ बजाती
हवा किवाड़ बजाती, हवा किवाड़ बजाती,

देता हैं तू जिन्हा पपीहा, हवा किवाड़ बजाती
हवा किवाड़ बजाती, हवा किवाड़ बजाती,
उनका आया समझ तुरन्त मैं भाग द्वार पर जाती,
किन्तु विफ़ल हो हाय
किन्तु विफ़ल हो हाय ह्रदय को थाम लौट आती हूँ,
युही …
युही अनगिनत बार मैं रोज़ धोखा खाती हूँ,
रोज़ धोखा खाती हूँ,,
सांवरे सांवरे सुन्दर सुन्दर, आजाओं मेरे मन के अन्दर,
आजाओं मेरे मन के अन्दर,
मैं चरण कमल पे वारी, दरश दो गिरधारी बनवारी
मैं चरण कमल पे वारी, दरश दो गिरधारी बनवारी
दरश दो गिरधारी बनवारी ..
ऐ मैं तो चरण कमल पर वारी, दरश दो गिरधारी बनवारी,
मेरे प्यारे प्यारे प्यारे सुन्दर श्याम
दरश दो गिरधारी बनवारी ..
मेरे श्याम प्यारे श्याम
मेरे प्यारे प्यारे सुन्दर श्याम

by DNS Dayanand Sharma

राज़ी तेरी राजा में मुझे एतराज़ क्या हैं,
तेरे पास बिजलिया हैं मेरे पास आशियाना,
तेरे नाम ने बना दी मेरी ज़िन्दगी फ़साना.
मुझे इसका गम नहीं हैं कि बदल गया ज़माना,
मेरे ज़िन्दगी के मालिक, कहीं तुम बदल न जाना,

वो जो इश्क था मोनो वो जूनून था,
लेकिन ये जो विरह, मानों ये मेरा नसीब हैं,
तेरी बंदगी से पहले मुझे कौन जानता था,

शायद इसे को इश्क कहते हैं कि खुद-ब-खुद इस दिल में एक शख्स समाया जाता है
तेरी आशिकी से पहले मुझे कौन जानता था,
तेरे नाम ने बना दी, मेरी जिंदगी फ़साना.
मेरी जिंदगी फ़साना.
वो जो इश्क था एक जूनून था,
लेकिन ये जो हिज्र, ये नसीब हैं,

जो तुमको भूल जाये वो दिल कहाँ से लाऊं
जो तुमको भूल जाये वो दिल कहाँ से लाऊं
दिल हैं तो दिल में क्या हैं कैसे तुम्हें बताऊँ
दिल हैं तो दिल में क्या हैं कैसे तुम्हें बताऊँ

मेरे दिल का क्या राज गम हैं , तू हैं बेमियाज़ गम से

तुम क्या जानों किसी के दर्द-ए-दिल की दास्तान?
तुम संयोग के नित्य सीमा हो,
कहीं ना कहीं तुम्हारी इफ्दारी, मटरगस्ती,
मिलना जुलना चलता रहता हैं, तुम क्या जानों?
क्यों, तुम बहु नायक हो, एक के नहीं बहु नायक,
अनेकों के नायक, राजा हो
और मैं क्या हूँ प्यारे  एकल प्रिय,
बस एक तन ही प्रीत हुई हैं,
तुम नहीं आते तो तुम क्या जनों दिल की तड़पन को,

मेरे दिल का क्या राज गम हैं , तू हैं बेमियाज़ गम से,
तुझे अपने दर्द-ए-दिल की क्या दास्ताँ सुनाऊँ,
जो तुमको भूल जाये वो दिल कहाँ से लाऊं
दिल हैं तो दिल में क्या हैं कैसे तुम्हें बताऊँ

मेरे दिल की बेबसी के अरमान थक गए हैं,
क्यों थक गये?
परसों हरी आवन कह जो गए,
कब आवेगी वो बैरन परसों,
मेरे दिल की बेबसी के अरमान थक गए हैं,
ऋतुराज ने ली अगड़ाई, मुस्काई हर डाली
ऋतुराज ने …….
लता देव करू पुष्प वन में नाच रही हरियाली
ऋतुराज ने जीवन फूँका, मुस्काई हरि डालो,
लहराओं कुछ ह्रदय कुञ्ज में,

लहराओं कुछ ह्रदय कुञ्ज में, मेरे उजड़े चमन के बाग़बा,
मेरे मन उपवन के कोपिल ,
लहराओं कुछ ह्रदय कुञ्ज में, ओ मेरे वनमाली,
पूर्ण कर दो भर दो अब तो प्रेम पियूष अटारी,

मेरे दिल की बेबसी के अरमान थक गए हैं,
प्यारे क्यों थक गये?
थारों से पूछिए ना किसी गुल से पूछिए,
सदमा चमन के लुटने का बुलबुल से पूछिए,

मेरे दिल की बेबसी के अरमान थक गए हैं,
तेरी के नज़र हैं अब और चल ना पाऊँ,
जो तुमको भूल जाये वो दिल कहाँ से लाऊं
दिल हैं तो दिल में क्या हैं कैसे तुम्हें बताऊँ
हे गोविन्द ….. हे गोपाल
सपनों में आने वाले, तुम बिन सुनी हैं साँझ बहारें,
सपनों में आने वाले, सुनी हैं साँझ बहारें,
सपनों में आने वाले, सुनी हैं प्राण हवा रे,

ओ मधुवन के रखवारे, सुनी हैं साँझ बहारें,
जब याद तेरी आती हैं, तड़पन आहे लाती हैं,
रातों को जगाने वाले, अब जाये किसे पुकारे?
ओ मधुवन के रखवारे, सुनी हैं आज बहारें,
गोविन्द … गोपाल
मेरे प्यार प्यारे श्याम …. सलोने मधुसुदन घनश्याम …
संवारे हे नयनन अभिराम …
मेरे प्यारे सुन्दर श्याम… दरश दो गिरधारी बनवारी ..
मेरे प्यार प्यारे श्याम …. मेरे श्याम ….. श्याम …
मेरे श्याम मेरे श्याम

श्याम …… मेरे श्याम ……
हैं याद तेरी इतनी मिठ्ठी, इसे दिल में बसाये बैठी हूँ,
तश्वीर तेरी रसिया प्रीतम, नयनों में छिपाये बैठी हूँ,
अरमान तुम्हारे मिलने के हैं, दिल में बहुत घनश्याम मेरे,
उन अरमानों से इस दिल की, मैं दुनिया बसाये बैठी हूँ,

कब आओगे……
कब आओगे, कुछ खबर तो दो,
बेचैन हैं दिल इस बिरहन का,
कब से मैं तुम्हारी राहों में, पलकों को बिछाए बैठी हूँ,
कब आओगे, कुछ खबर तो लो,
बेचैन हैं दिल इस बिरहन का,
कब से मैं तुम्हारी राहों में, पलकों को बिछाए बैठी हूँ,
देखों मैं मानती हूँ
मैं दिन दुखी गुणहिन सही, पर तुम तो करुना सागर हो,
तेरी करुना पर ही हे प्रीतम, मैं आस लगाये बैठी हूँ,
मैं काबिल न सही पर शोक तो हैं,
दीदार तुम्हारे का मोहन,
दीदार तुम्हारे का मोहन,
इस दाव पे अपने जीवन की, मैं बाज़ी लगाये बैठी हूँ,
मेरे प्यार प्यारे सुन्दर श्याम …. सलोने मधुसुदन घनश्याम …
मेरे प्यारे प्यारे सुन्दर श्याम… दरश दो गिरधारी बनवारी ..
हे गोविन्द …  हे गोपाल ….

मान गुहार पुकार थकी मैं तो, निस दिन साँझ सवेरे,
निस दिन साँझ सवेरे,
हार गयी मैं तो बाट जोहती, हाय, आये नाथ ना मेरे,
हार गयी मैं तो बाट जोहती, आये नाथ ना मेरे,
आकर के कोई इतना तो सखी सन्देशा कह जाता,
चलते हुए प्राणों पे सजनी, आँखों का आग्रह रह जाता,

घायल सी मैं तो तड़प रही हूँ, किस को व्यथा सुनाऊँ?
किस से पुछू, कहूँ सन्देशा, पाती कहाँ पठाऊँ?
हाय बटोही भी अब कोई इधर नहीं आते हैं,
देख दूर से मुझ दुखिया का घर की कर जाते हैं,

रही पड़ी द्वार पर मैं हु, अन्त घड़ी जीवन की,
पूर्ण करों हे नाथ, एक लालस दर्शन की,
पूर्ण करों हे नाथ, हे नाथ … हे नाथ …
पूर्ण करों हे नाथ, अब एक लालस दर्शन की,
एक लालसा दर्शन की,
आओं तो एक बार नयन में, मोह तुम्हें मैं लुंगी,
देखूंगी फिर ना किसी को उन्हें ना देखने दूंगी,
देखूंगी फिर ना किसी को उन्हें ना देखने दूंगी,
सांवरे सांवरे सुन्दर सुन्दर, आजाओं नैनों के अन्दर,
सांवरे सांवरे सुन्दर सुन्दर, आजाओं नैनों के अन्दर,
मैं तुम पर ही बलिहारी, दरश दो गिरधारी बनवारी,
मैं तुम पर ही बलिहारी, दरश दो गिरधारी बनवारी,
मेरे प्यार प्यारे श्याम …. मेरे प्यार प्यारे श्याम ….
मेरे प्यारे सुन्दर श्याम… दरश दो गिरधारी बनवारी ..
मेरे श्याम मेरे श्याम श्याम …..
मेरे श्याम राधे श्याम मेरे श्याम ….
मेरे प्यार श्याम आओं श्याम
मेरे प्यारे प्यारे सुन्दर श्याम …………
मेरे प्यारे प्यारे सुन्दर श्याम… दरश दो गिरधारी बनवारी ..
दरश दो गिरधारी बनवारी ..
मेरे प्यारे प्यारे सुन्दर श्याम …
हाँ कृष्ण प्यारे हाँ श्याम प्यारे ..
हाँ कृष्ण प्यारे हाँ श्याम प्यारे ..
हे गोविन्द गोविन्द गोविन्द

सपनों में तुम नित आते हो,
सपनों में तुम नित आते हो, मैं हूँ अति सुख पाती,
प्यारे मैं हूँ अति सुख पाती, मैं हूँ अति सुख पाती,
मिलने को उठती हूँ तो, बैरन आँख तुरन्त खुल जाती,
मिलने को उठती हूँ तो, बैरन आँख तुरन्त खुल जाती,

सपनों में तुम नित आते हो, मैं हूँ अति सुख पाती,
मैं हूँ अति सुख पाती,
मिलने को उठती हूँ तो, बैरन आँख तुरन्त खुल जाती,
असहनीय उस समय विरह में विरह वेदना होती,
सो कर खोती हैं दुनिया,
सो कर खोती हैं दुनिया, मैं हाय जागकर खोती,
सो कर खोती हैं दुनिया, मैं हाय जागकर खोती,
मैं हाय जागकर खोती,
सो कर खोती हैं दुनिया, मैं हाय जागकर खोती,
सांवरे सांवरे सुन्दर सुन्दर, आजाओं मेरे मन के अन्दर,
आजाओं मेरे मन के अन्दर,
मैं चरण कमल पे वारी, दरश दो गिरधारी बनवारी
मैं चरण कमल पे वारी, दरश दो गिरधारी बनवारी
दरश दो गिरधारी बनवारी ..

देता हैं तू
देता हैं तू जिन्हा पपीहा,

देता हैं तू जिन्हा पपीहा, हवा किवाड़ बजाती
हवा किवाड़ बजाती, हवा किवाड़ बजाती,

देता हैं तू जिन्हा पपीहा, हवा किवाड़ बजाती
हवा किवाड़ बजाती, हवा किवाड़ बजाती,
उनका आया समझ तुरन्त मैं भाग द्वार पर जाती,
किन्तु विफ़ल हो हाय
किन्तु विफ़ल हो हाय ह्रदय को थाम लौट आती हूँ,
युही …
युही अनगिनत बार मैं रोज़ धोखा खाती हूँ,
रोज़ धोखा खाती हूँ,
सांवरे सांवरे सुन्दर सुन्दर, आजाओं मेरे मन के अन्दर,
आजाओं मेरे मन के अन्दर,
मैं चरण कमल पे वारी, दरश दो गिरधारी बनवारी
मैं चरण कमल पे वारी, दरश दो गिरधारी बनवारी
दरश दो गिरधारी बनवारी ..
ऐ मैं तो चरण कमल पर वारी, दरश दो गिरधारी बनवारी,
मेरे प्यारे प्यारे प्यारे सुन्दर श्याम
दरश दो गिरधारी बनवारी ..
मेरे श्याम प्यारे श्याम
मेरे प्यारे प्यारे सुन्दर श्याम

by DNS Dayanand Sharma

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