गुरुजी, गुरुजी , गुरुजी , गुरुजी ….
गुरुजी मैं तो एक निरंजन ध्याऊँ जी,
दूजे के संग नहीं जाऊँ जी,
दुःख ना जानूँ जी मैं दर्द ना जानूँ जी मैं ,
ना कोई वैद्य बुलाऊँ जी,
सदगुरु वैद्य मिले अविनाशी,
वाको ही नाड़ी बताऊँ जी,
दूजे के संग नहीं जाऊँ जी,
गंगा न जाऊँ जी मैं जमना न जाऊँ जी मैं,
ना कोई तीरथ नहाऊँ जी,
अड़सठ तीरथ हैं घट भीतर,
वाही में मल मल नहाऊँ जी,
दूजे के संग नहीं जाऊँ जी,
कहे गोरख जी हो सुन हो मच्छन्दर मैं ,
ज्योति में ज्योति मिलाऊँ जी,
सतगुरु के मैं शरण गये से,
आवागमन मिटाऊँ जी,
दूजे के संग नहीं जाऊँ जी,
गुरुजी मैं तो एक निरंजन ध्याऊँ जी,
दूजे के संग नहीं जाऊँ जी,
Guruji, Guruji, Guruji, Guruji….
Guruji, I am one Niranjan Dhyanji,
I will not go with each other, sir.
I do not know sorrow, I do not know pain, I do not know,
Neither should I call any doctor,
Sadguru Vaidya met the imperishable,
Tell me only the pulse, sir
I will not go with each other, sir.
I should not go to the Ganges, I should not go to freeze,
Do not bathe any pilgrim sir,
There are sixty-eight tirthas inside,
Do not bathe in the waste, sir.
I will not go with each other, sir.
Say, Gorakh ji, listen, I am a mosquito.
Let me add light to the flame, ji,
I took refuge in the Satguru,
Eliminate traffic
I will not go with each other, sir.
Guruji, I am one Niranjan Dhyanji,
I will not go with each other, sir.