सच्चे नाम वाली बूटी मेरे गुरां ने पिलाई।
प्यासी आत्मा सी मेरी प्यास उसदी बुझाई ।।
रेहा भटकदा मैं दर-दर,दुर-दूर होई,
मेरी आत्मा निमाणी कई-कई वार रोई,
दित्ता ग्यान वाला छिट्टा तद् होश मैंनू आई।
मेरे गुरां मेरे उत्ते उपकार कीता ऐ,
पंजा वैरीयां नूँ सत्गुरां मार दित्ता ऐ,
रोग हो गये ने नाश ऐसी दित्ती ऐ दवाई।
“अजय” भुल्लेया ई फिरदा सी गुरां वाला द्वारा,
विच्च नेरेया दे आखर च होया उजिआला,
मैनूँ आ गई ऐ होश मेरी रूह रुशनाई।
पं-अजय वत्स
महदूद|
The herb with the true name was given to me by my Guru.
My thirsty soul was quenched by him.
Reha Bhatakda Main Dar-Dar,Dur-Dur Hoi,
My soul wept many times,
The splash of knowledge I was given came to my senses.
Mere Guru Mere Utte Upkar Kiya Aye,
Panja Vairiyan Nu Satguru Mar Ditta Aye,
Diseases have been destroyed such is the medicine.
“Ajay” by Bhulleya E Firda Si Guru Wala,
There was light at the end of the darkness in the middle,
I have come to my senses, my soul is enlightened.
Pt-Ajay Vats
Mahdood|