कान्हा मेरे हाथो से निकल गयो रे
मैं पकडन लागी फिसल गयो रे
सूरज में ढूंढा मैंने चंदा में ढूंढा
तारो की झिलमिल में छुप गयो रे
कान्हा मेरे हाथो…..
फूलों में ढूंढा मैंने कलियों में ढूंढा
फूलों की खुशबू में छुप गयो रे
कान्हा मेरे हाथो…..
नंदजी से पूछा बलराम जी पूछा
मैया के आँचल में छुप गयो रे
कान्हा मेरे हाथो…..
संतो में ढूंढा मैंने सत्संग में ढूंढा
भगतो के हिरदे में बस गयो रे
कान्हा मेरे हाथो…..स्वरअलका गोएल
Kanha got out of my hands
I got caught and slipped
I searched in the sun I searched in the donation
I hid in the twinkle of stars
Kanha my hands…..
I searched for flowers I looked for buds
hid in the fragrance of flowers
Kanha my hands…..
Nandji asked Balramji asked
I hid in Maya’s lap
Kanha my hands…..
I searched in saints I found in satsang
Bhagto ke hirde me bas gayo re
Kanha my hands…..SwarAlka Goel