श्याम के चरणो मे हरदम लगी मेरी हाजरी रहती
मेरी आशा उममीदो की सदा बगीया हरी रहती
भटकने दर बदर मुझ को नही मेरा साँवरा देता
मै लख दातार का नोकर मे लख दातार का चाकर ।
मेरी पुजा खरी सबसे खरा घनशयाम हे मेरा।
मेरी चाहत खरी सबस मेरी नियत खरी रहती।
पुकारू जब कंहेया को खिवया बनके आजाये।
भले तुफान हो भारी मेरी नयया तरी रहती।
रहे एहसास ये मुझ को शयाम मेरे आसपास ही हे।
गुंजती कानो मे लकखा इनकी बांसुरी रहती।
I always kept my attendance at Shyam’s feet.
My hope is that the garden of hope is always green
Wandering away does not give me my beauty
I am the servant of lakh datar.
My worship is true, Ghanshyam is mine.
My wish is true, all my intentions remain true.
Call me when Kanheya comes as a khivaya.
Even if the storm is heavy, my new life will remain.
Keep in mind that I am always around me.
His flute would remain in the resounding ears.