कितना अजीब मोहन किस्मत का लेख मेरा,
जो कुछ भी हो रहा है,उस में हाथ तेरा,
कितना अजीब मोहन किस्मत का लेख मेरा,
हारे थे हारते थे का हारते रहे गये,
खामोश है कन्हिया कुछ भी न कहे गये,
किस से कहू हे मोहन कोई न जग में मेरा,
कितना अजीब मोहन किस्मत का लेख मेरा,
हिस्कोले खाते खाते सेहना तुमसे ही सिखा,
अब तो लगे है हारना जुआ भी जिन्दगी का,
दुःख में भी सुख है मोहन कैसा है खेल तेरा,
कितना अजीब मोहन किस्मत का लेख मेरा,
करली जो तुमसे यारी जीना सफल हुआ है,
बदनाम नाम ना हो मेरी तो ये दुआ है,
कितने चला वो जड्डू ॐ छोड़े न साथ तेरा,
कितना अजीब मोहन किस्मत का लेख मेरा
What a strange Mohan Kismat article of mine,
Whatever is happening, your hand in it,
What a strange Mohan Kismat article of mine,
Had lost, used to lose, kept on losing,
Kanhiya is silent, nothing has been said,
To whom can I tell, O Mohan, no one is mine in the world,
What a strange Mohan Kismat article of mine,
Teach you how to eat while eating Hiscole,
Now it’s time to lose even the gambling of life,
There is happiness even in sorrow, how is your game Mohan?
What a strange Mohan Kismat article of mine,
Karli who has been successful in living with you,
If you don’t have a bad name, this is my prayer.
How long did that jaddu leave not with you,
How strange is my article of Mohan Kismat