तरसी तरसी रे नजरियाँ आजा मनमोहना,
सुनी सुनी धग्रिया आजा मनमोहना,
तरसी तरसी रे नजरिया आजा मनमोहना,
बिरहा अगन को सहते सहते सूखे अनसु बेहते बेहते,
रूठा सांवरिया आजा मनमोहना,
तरसी तरसी रे नजरिया आजा मनमोहना…
जाने कब धरकन रुक जाये,
सदा के लिए पलके झुक जाये,
लेले खबरिया अब तो मनमोहना,
तरसी तरसी रे नजरिया आजा मनमोहना…..
सुना पड़ा है कदम पे झुला,
सावन भी अब बरसना भुला,
खाली गगरिया आजा मनमोहना,
तरसी तरसी रे नजरिया आजा मनमोहना…
सदियों से दर्शन की चाह में,
सुंदर लाल खड़ा बीच रह में,
बीती उमरिया आजा मनमोहना,
तरसी तरसी रे नजरिया आजा मनमोहना…
Tarsi tarsi re nazaryan aaja manmohana,
Suni heard Dhagriya aa manmohana,
Tarsi tarsi re nazariya aja manmohana,
While bearing the fire of birha, the dry ansu becomes better,
Rutha saawariya aa manmohana,
Tarsi tarsi re nazariya aaja manmohana…
Know when the dharkan will stop,
bow down forever,
Lele news, now Manmohana
Tarsi tarsi re nazriya aja manmohana…..
I have heard that swinging on the steps,
Sawan also forgot to rain now,
Khali Gagaria aa manmohana,
Tarsi tarsi re nazariya aaja manmohana…
In the longing for darshan for centuries,
Beautiful red stands in the middle,
Byte umaria aa manmohana,
Tarsi tarsi re nazariya aaja manmohana…