मैं मोरछड़ी कहलाऊं जब जब भी मैं लहराऊं,
भक्तों के कष्ट मिटाऊं अरे जा हट जा रे परै
मैं भी छप्पन भोग कहाऊं मेरे साथ ना लढ़े,
मैं भी बिगड़े काम बनाऊ मेरे साथ ना लढ़े
मैं भी बिगड़े काम बनाऊं अपणी बात के करे
मैं मोरछड़ी कहलाऊं जब जब भी मैं लहराऊं
भक्तों के कष्ट मिटाऊं अरे जा हट जा रे परै
मैं भी श्याम के मन भाऊं अपनी बात के करै
मैं बाबा की प्यारी बाबा के हाथों में सजती,
झाड़ा मेरा पाने को ये सारी दुनिया तरसती,
जो प्रेमी मुझे चढाएं और भाव से मुझको खाए,
मेरा श्याम उसे अपनाए तू अपनी बात के करै
अरे तू काहे मुझे सताए अरे जा हट जा रे परै
मैं मोर छड़ी कहलाऊं……
मेरे बिन मेरे श्याम प्रभु का मंदिर सूना-सूना,
हाथों में हो मोरछड़ी तो रूप सवाया दूना,
मेरे भोग का इक इक दाना, मेरे श्याम को करे दीवाना
वो छोड़ दे रास रचाना तू अपनी बात के करै
मुझे भी चाहे सारा जमाना मेरे साथ ना अड़ै
मैं मोरछड़ी कहलाऊं…..
देख लड़ाई दोनों की बाबा बैठ्यो मुस्कावे,
दोनों ही हैं मुझको प्यारे किसको बड़ा बतावे,
ये छप्पन भोग मैं खाऊं और मोरछड़ी लहराऊं,
अब किसको कम बतलाऊं कोई फैसला करे
मैं कैसे इनकी राड़ मिटाऊं पड़ गया दुविधा में बड़े
मैं मोरछड़ी कहलाऊं…..
भाव भरा जो भोग छप्पन उसको ही मैं खाऊं,
खुश होकर के उसके ऊपर मोर छड़ी लहराऊं,
दोनों मेरे मन को भाए मोहता का काम बनाएं,
ये दुनिया सही चलाएं तेरा शर्मा ये कहे,
यह दास सुदर्शन गाये आके नमन करे,
हम दोनों के बिना ना कारज प्रेमी का सरै,
मैं मोरछड़ी कहलाऊं….
Whenever I wave, I will be called a peacock
Hey ja hat ja re parai to erase the sufferings of the devotees
Where should I also enjoy Chappan Bhog, don’t fight with me,
I also make bad things do not fight with me
I should also do bad things, do my thing
I’m called a peacock whenever I wave
Erase the sufferings of the devotees oh ja hat ja re parai
I also like Shyam, do your thing
I would adorn in the hands of Baba’s beloved Baba,
The whole world yearns to get mine,
The lover who offers me and eats me with emotion,
my shyam adopt him you do your thing
Hey why are you tormenting me
I’ll be called a peacock stick……
Without me the temple of my Shyam Prabhu is deserted,
If there is a peacock in the hands, then the form is twice as much,
A single grain of my enjoyment, make my shyam crazy
Leave it alone, do your own thing
I also want the whole world do not stand with me
I will be called a peacock…..
See the fight of both the Baba sit and smile,
Both are dear to me, whom should I tell big?
Let me eat this fifty-six bhog and wave a peacock,
Now to whom should I tell less, someone should decide
Big in dilemma
I will be called a peacock…..
I should eat only those bhog which is full of emotion,
Happy to wave a peacock stick over him,
Both make my mind the work of fascination,
Run this world right, your Sharma says this,
This slave should come and worship Sudarshan.
Without both of us, there is no Karaj lover’s sarai,
I will be called a peacock….