मेरे मन में है राम, मेरे तन में है राम ।
मेरे नैनो की नगरिया में राम है ॥
मेरे रोम रोम के है राम ही रमिया,
साँसों के स्वामी, मेरी नैया के खिवैया।
कण कण में हैं राम, त्रिभुवन में हैं राम,
नीले नभ की अटरिया में राम है॥
जनम जनम का जिन से है नाता,
मन जिन के पल छीन गुण गाता।
गुण धुन में है राम, रन झुन में है राम,
सारे जग की डगरिया में राम है॥
जहाँ कहीं देखूं वहीं राम की है माया,
सब ही के साथ श्री राम जी की छाया ।
सुमिरन में है राम, दर्शन में है राम,
मेरे मन की मुरलिया में राम है॥स्वरमोहम्मद रफ़ी
I have Ram in my mind, Ram is in my body.
There is Ram in the city of my nano.
My Rome is of Rome, Ram is Ramia,
Lord of the breath, the driver of my boat.
Ram is in every particle, Ram is in Tribhuvan,
Ram is in the blue sky.
Janam Janam is related to Jin,
The mind would sing the praises of Jinn.
Ram is in the tune, Ram is in the run,
Ram is in the path of the whole world.
Wherever I look, there is Maya of Ram.
With everyone, the shadow of Shri Ram ji.
Ram is in Sumiran, Ram is in Darshan,
Ram is in my mind’s murliySwarMohammed Rafi