साई मैं तेरे दर आया जो हार कर

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साई मैं तेरे दर आया जो हार कर तुन्हे पकड़ी कलाई तो मजा आ गया,
अब न चिंता फ़िक्र दिल में रहता न डर ज़िंदगी मुस्कुराई मजा आ गया,

हर कदम ठोकरे खाता चलता था मैं,
गिरता था और खुद ही सम्बल ता था मैं,
अब जो ठोकर लगे बड़के तू थाम ले,
गिरना पाउ मैं साई मजा आ गया,
साई मैं तेरे दर आया जो हार ..

मुझपे किरपा की तेरी नजर जो पड़ी तेरी मस्ती में साई राहु हर घडी,
रखा सिर पे जो हाथ तूने ऊ साई नाथ प्रीत तेरी है पाई मजा आ गया,
साई मैं तेरे दर आया जो हार…

तेरे दरबार की मैं करू चाकरी रोज तेरी बजता राहु हज़ारी,
यही मेरी उम्र जाए कुंदन गुजर तुजसे अर्जी लगाई मजा आ गया,
साई मैं तेरे दर आया जो हार…..

Sai I came to your door, I enjoyed the wrist that caught you after defeating,
Now neither worry nor fear resides in the heart, life smiled and enjoyed it,
I used to stumble every step,
I used to fall and support myself,
Now the boy who stumbles, you take hold,
Pow fall, I have enjoyed Sai,
Sai I came to you who lost..
Your eyes were on me, which fell in your masti, Sai Rahu every hour,
The hand that you kept on your head, O Sai Nath, Preet Teri Hai Pai, enjoyed it.
Sai I came to you who lost…
I will do Chakri in your court every day,
This is my age, Kundan Gujar applied to you, enjoyed it
Sai I came to you who lost…..

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