नवरात्रि के तीसरे दिन चंद्रघंटा का ध्यान।
मस्तक पर है अर्ध चन्द्र, मंद मंद मुस्कान॥
दस हाथों में अस्त्र शस्त्र रखे खडग संग बांद।
घंटे के शब्द से हरती दुष्ट के प्राण॥
सिंह वाहिनी दुर्गा का चमके सवर्ण शरीर।
करती विपदा शान्ति हरे भक्त की पीर॥
मधुर वाणी को बोल कर सब को देती ग्यान।
जितने देवी देवता सभी करें सम्मान॥
अपने शांत सवभाव से सबका करती ध्यान।
भव सागर में फसा हूँ मैं, करो मेरा कल्याण॥
नवरात्रों की माँ, कृपा कर दो माँ।
जय माँ चंद्रघंटा, जय माँ चंद्रघंटा॥
Chandraghanta meditation on the third day of Navratri.
There is a crescent moon on the head, a dim smile.
Band with Khadag holding weapons in ten hands.
The soul of the wicked is defeated by the word of the hour.
Shining savarna body of Singh Vahini Durga.
The calamity does the peace of the green devotee.
Giving knowledge to everyone by speaking melodious voice.
Respect all the gods and goddesses.
Meditating on everyone with his calm nature.
I am trapped in the ocean, do my welfare.
Mother of Navratras, please mother.
Jai Maa Chandraghanta, Jai Maa Chandraghanta