मैया के आये नवराते मेहर बरसते ,
खजाने खोल कर माँ बैठी,
शहर शहर जगराते भगत करवाते खजाने खोले माँ बैठी
उचे पर्वत गुफा निराली पिंडी रूप में शेरा वाली,
सरस्वती माँ लक्ष्मी माता साथ विराजे माँ महाकाली,
माँ के दर्शन पा लो ओ शीश निभालो सजाके दरबार बैठी,
मैया के आये नवराते …..
कितना सूंदर भवन सजा है सिंह सवारी किसी न्यारी,
भैरव नाथ जी पीछे पीछे तो आगे है बजरंग बलकारी,
सबकी होती सुनवाई सुने महामाई ओ सिंह पे सवार बैठी,
मैया के आये नवराते …….
लाखो बिगड़े भाग सवेरे लाख माँ के खेल न्यारे,
तर जाए गा तू वि गरिरे माँ का नाम जो दिल से पुकारे,
हो जाये वारे न्यारे लुटाने माँ प्यार बैठी,
मैया के आये नवराते …..स्वरलखबीर सिंह लक्खा
Maya’s Navrata rained down,
Opening the treasures, the mother sat
Bhagat made Bhagat open the treasures of the city, the mother sat
High mountain cave Shera in unique Pindi form,
Saraswati Maa Lakshmi Mata sits with Maa Mahakali,
Get the darshan of the mother, O sheesh nibhalo, sitting in the court decorated,
Maya’s aaye navrat…
How beautiful the building is decorated
Bhairav Nath ji is behind and Bajrang Balkari is ahead,
Listening to everyone’s hearing, Mahamayi sat on O Singh,
Maya’s aaye navrata…….
Millions of spoiled parts in the morning, millions of mother’s games are different,
Tar jaye ga tu vi girire the name of the mother who calls from the heart,
Let my love be spent, my mother is sitting in love,