कान्हा मोरे नाहीं कहुँ मोहें ठौर:
श्री कृष्ण: शरणम् मम्,
श्री कृष्ण: शरणम् मम् ।
कान्हा मोरे नाहीं कहुँ मोहें ठौर,
चरण शरण अब आय तिहारो,
तुम बिनु कोऊ न और,
कान्हा मोरे नाहीं कहुँ मोहें ठौर—-।
मन अधीर तव दरस को तड़पै,
जैसो चितवत चंद चकोर,
कान्हा मोरे नाहीं कहुँ मोहें ठौर…….
छाड़ि दोष लीजै मोहें चरनन,
भयो हिय भाव विभोर,
कान्हा मोरे नाहीं कहुँ मोहें ठौर….
राग द्वेष मिथ्या जग तजि अब,
हरि चाहूँ भक्ति तोर,
कान्हा मोरे नाहीं कहुँ मोहे ठौर ….
श्री कृष्ण: शरणम् मम् ,
श्री कृष्ण: शरणम् मम्
Kanha More Nahin Kahan Mohen Thaur:
Shri Krishna: Sharanam Mam,
Shri Krishna: Sharanam Mam.
Kanha more nahin kahan kohan mohen,
Charan Sharan now income thirteen,
You are not binu and,
Kanha more nahi kahan kahan mohen thaur—.
The mind is impatient and yearns for Daras,
Like Chitwat Chand Chakor,
Kanha more nahin kahan kohan mohen thaur…….
Chhadi Dosh Lijai Mohan Charanan,
Fearful feeling,
Kanha more nahin kahan mohen thaur….
Raga, hatred, false world, now,
Hari wish bhakti tor,
Kanha More Nahin Kahan Mohe Thaur….
Shri Krishna: Sharanam Mam,
Shri Krishna: Sharanam Mam