देखो रे देखो पालकी चली है साईं नाथ की,
सजधज के बेठे जिसमे श्रृष्टि के नाथ जी,
झूमो नाचो गाओ ढोल ताशे बजाओ,
आके देख देख टपकी न साईं के ठाठ जी,
देखो रे देखो पालकी चली है साईं नाथ की,
भक्तो ने देखो कैसे पालकी बनाई है,
रंग भिरंगे फूलो की झालर लगाई है,
रकत बनके कहा रे खुद को समजे है राजा,
कही भाजे शहनाई और कही बाजा,
फूलो से अति पड़ी शिरडी की राहे,
एक नजर साईं को सब देखना चाहे,
अरे आख जो रही तेरी बाँट जी,
देखो रे देखो पालकी चली है साईं नाथ की,
देवी देव अरसो से करते नमन है खुशियों से झूम रहे अज सबके मन है,
गली गली नगर नगर धूम मची है भक्तो संग गुम रहे द्वारका पति है,
साईं नाम के बस गूंजते जयकारे एक झलक साईं की किस्मत सवारे,
भिग्ड़े बने सारे काम जी
देखो रे देखो पालकी चली है साईं नाथ की,
Look, look, the palanquin has gone to Sai Nath,
The sons of well-mannered, in whom Shrishti’s Nath ji,
Jhoomo dance, sing, play drums,
When you came and saw Sai’s chic,
Look, look, the palanquin has gone to Sai Nath,
See how the devotees have made the palanquin,
Colorful flowers have been planted,
Having become a rakat, said that I have understood myself as a king,
Somewhere the shehnai and somewhere the baja,
Shirdi’s road filled with flowers,
Everyone wants to see Sai at one glance,
Oh my eyes, what is your share,
Look, look, the palanquin has gone to Sai Nath,
Devotees are bowing to the gods for many years, today everyone’s mind is swinging with happiness,
Gali Gali Nagar Nagar has created a ruckus, Dwarka is the husband who is missing with the devotees.
Just a glimpse of Sai’s reverberating cheers in the name of Sai,
All the work done
Look, look, the palanquin has gone to Sai Nath,