स्वभाव में ही किसी व्यक्ति का प्रभाव झलकता है। व्यक्तित्व की भी अपनी वाणी होती है जो कलम या जिह्वा के इस्तेमाल के बिना भी लोगों के अंतर्मन को छू जाती है।
जिस प्रकार से कस्तूरी के बारे में लिखकर अथवा बताकर उसको ठीक – ठीक नहीं समझा जा सकता। उसको समझने के लिए उसकी खुशबु पर्याप्त होती है। उसी प्रकार व्यक्तित्व की भी अपनी एक खुशबु होती है, जिसे बताया अथवा दिखाया तो नहीं जा सकता मगर महसूस जरुर किया जा सकता है।
सिंहासन पर बैठकर व्यक्तित्व महान नहीं बनता अपितु महान व्यक्तित्व एक दिन जन-जन के हृदय सिंहासन पर अवश्य बैठ जाता है। सिंहासन पर बैठना जीवन की उपलब्धि हो अथवा नहीं मगर किसी के हृदय में बैठना जीवन की वास्तविक उपलब्धि अवश्य है।
राज सिंहासन पर बैठ सको न बैठ सको मगर किसी के हृदय सिंहासन पर बैठ सको तो समझना चाहिए कि आपका जीवन सार्थक हो गया है और यही तो विराट व्यक्तित्व का एक प्रधान गुण भी है..!!
The influence of a person is reflected in the nature itself. Personality also has its own voice which touches the conscience of people even without the use of pen or tongue. The way in which by writing or telling about Kasturi, it cannot be understood properly. His fragrance is enough to understand him. Similarly, personality also has its own fragrance, which cannot be told or shown but can be felt. The personality does not become great by sitting on the throne, but the great personality one day definitely sits on the throne of the heart of the people. Sitting on the throne is the achievement of life or not, but sitting in one’s heart is definitely the real achievement of life. If you cannot sit on the throne of the king, but if you can sit on the throne of someone’s heart, then you should understand that your life has become meaningful and this is also one of the main qualities of a great personality..!!
One Response
Keep functioning ,remarkable job!