अब तुम बिनु कछु नाहीं भावत कान्हा,
जिय गति जल बिनु मीन की नाईं,
मोहें काहे नाहीं दरस दिखावत कान्हा,
अब तुम बिन कछु नाहीं भावत कान्हा….
अधरन गीत भ्रमर नाहीं गूंजत,
मोरे हिंय हिलोर नाहीं आवत कान्हा,
अब तुम बिन कछु नाही भावत कान्हा…..
मिथ्या जगत रास नाहीं मोहें,
काहे चरनन नाहीं लगावत कान्हा,
अब तुम बिनु कछु नाहीं भावत कान्हा……..
ऊर धरि नाथ तोहें बस ध्याऊँ,
मोहें काहे नाहीं दास बनावत कान्हा,
अब तुम बिनु कछु नाहीं भावत कान्हा…..
Ab tum binu kuchh nahin bhavat kanha,
Jiy gati jal binu meen ki naai,
Mohen Kahe Nahin Dars Dikhawat Kanha,
Ab Tum Bin Kuchh Nahin Bhavat Kanha.
The song of the lips does not resonate,
More hine hilor nahin avat kanha,
Ab Tum Bin Kuchh Nahi Bhavat Kanha.
Mithya Jagat Ras Nahin Mohen,
Kahe Charanan Nahin Lagavat Kanha,
Ab tum binu kuchh nahin bhavat kanha.
Ur Dhari Nath Tohen Bas Dhyaun,
Mohen Kahe Nahin Das Banawat Kanha,
Ab tum binu kuchh nahin bhavat kanha.