मेहंदीपुर के रणरंगी सालासर के बजरंगी दोनों भगतो के रखवाले है,
महावीर है दोनों दबंगी श्री राम प्रभु के संगी बिगड़ी को बनाने वाले है,
एक मेहंदीपुर में राज रहा,
एक सालासर में विराज रहा,
इस सारी दुनिया में डंका दोनों के नाम का बाज रहा,
दोनों की चमक है नूरी,
रंग रंगे हुए सिंधुरी, कष्टों को मिटाने वाले है
गिरते हुए लोग संभलते है मेहंदीपुर संकट टल ते है,
सालासर जो आते है शरण वो निर्भय हो कर चलते है,
एक भूत प्रेत को भगावे एक धन दौलत बरसावे दोनों रूप रंग के निराले है.
नित सुमिरन पानी तू करले भक्ति के भाव दिल में भर ले,
मेहंदीपुर हो या सालासर बेढक ध्यान दिल में धर ले,
खाली ना कभी तू जाए दर्शन जो उनका पाए,
ये खुशिया लुटाने वाले है,
Bajrangi of Mehandipur’s Ranrangi Salasar is the caretaker of both the devotees.
Mahavir is both the domineering people of Shri Ram Prabhu’s companions are going to make spoilers,
One reigned in Mehndipur,
Remained in a salasar,
In this whole world, both the names of Danka remained hawk,
Nuri is the radiance of both,
Sindhuri, painted in colour, is the one who removes sufferings.
Falling people recover, Mehandipur crisis is averted,
Salasar, those who come take refuge, they walk fearlessly,
To drive away a ghost, a wealth and wealth, both are unique in color.
You drink water every day, fill the heart with the feeling of devotion,
Whether it is Mehndipur or Salasar, the frog should keep meditation in the heart,
Never go empty, see those who get theirs,
This is a spoiler of happiness,