आज कान्हा भक्त तेरे ये होली खेलन को तरसे,
रंग बरसे कान्हा रंग बरसे आज ब्रिज में रंग बरसे,
सारी दुनिया रंगो में खो गईं तेरे आवन की हद हो गईं,
सावन की तरह अँखियाँ रो गईं पर तू नहीं निकला घर से,
रंग बरसे कान्हा….
त्यार हुई भगतो की टोली तेरे बिन काहे की होली,
बैठे है खोलें रंग रोली तेरे लाइए दिन भर से,
रंग बरसे कान्हा…..
होली का रंग फिक्का पड़ गया तेरे नाम का रंग जो चढ़ गया,
ये तो बात किस जिद्द पे अड़ गया हो गए अब तो कई अरसे,
रंग बरसे कान्हा……
Today Kanha Bhakt longs to play your Holi,
It rained colors Kanha, it rained colors today in the bridge,
The whole world was lost in colors, the limit of your oven has become,
Eyes cried like sawan, but you did not leave the house,
Color rained Kanha….
Tere bin kahe ki holi is ready for Bhagto’s team
Have been sitting, open the color roli for you since the whole day,
Color rained Kanha…..
The color of Holi has faded, the color of your name has gone up,
On what insistence has this matter been stuck, now for many years now,
Color rained Kanha……