दान देते नहीं आप जो अपना सिर,
द्वार खाटू का पावन ये सजता नहीं,
दीन दुखियो की झोली न भरती अगर,
तेरी चौकठ पे मेला यु लगता नहीं,
नाम सुन कर तेरा लोग मुड़ने लगे,
तेरे चरणों में आकर के जुड़ने,
कुछ तो हाथ बात तुझमे मेरे सांवरे,
नाम कोई किसी का यु भज ता नहीं,
दान देते नहीं आप जो अपना सिर
हर तरफ एक चर्चा यही आम है,
खाटू जैसा नहीं दूसरा धाम है,
जो सहारा न बनता गरीबो का तू,
तो तेरे नाम का डंका भजता नहीं,
दान देते नहीं आप जो अपना सिर
फूल मुरझाया यही पर खिला,
जो यहाँ मिल गया वो कही ना मिला,
बेधक् हाथ जो तुम पकड़ ते नहीं,
तो ये गूंजा का सिर दर पे झुकता नहीं,
दान देते नहीं आप जो अपना सिर
You who don’t donate your head,
The holy door of Khatu does not adorn it,
If the poor would not have filled their bags,
You don’t feel like a fair on your square,
Your people started turning on hearing the name,
Joining by coming at your feet,
Some hand talk to you in my beauty,
No one’s name is worshiped by anyone,
you don’t give your head
This is a common discussion everywhere,
There is no other Dham like Khatu,
You who do not become the support of the poor,
So the sting of your name does not sing,
you don’t give your head
The flower withered and blossomed on it,
What was found here was not found anywhere.
the unflinching hand that you do not hold,
So this Gunja’s head does not bow at the rate,
you don’t give your head