जादू भरी क्या तूने बाँसुरी बजाई,
कहा उड़ गई मेरी नींद,
कहा खो गया मेरा चैन,
कहा लूट गया मेरा दिल,
जादू भरी क्या तूने बाँसुरी बजाई
ब्रिज में बजी बांसुरी मोहन की,
रण संख बजा गण गौर कही,
कही गीता के ज्ञान का गायन हो,
कही रास रचा भर जोर कही,
कही कंस को काल समान लगा,
बना गोपियों का चित चोर कही,
इसकी यह लीला यही समजे किसी और कही उस और कही
ऐसी सुनी तूने मुरली कन्हाई ,
कहा उड़ गई मेरी नींद……
बांसुरी की तान मैंने सुनी वृंदावन में,
तब से लग्न लागी है मेरे मन में,
ओ बिरहा की अग्नि लगी मेरे तन में,
कोई न सुहाए मोहे घर आँगन में,
मुरली ने ऐसी पागल बनाई,
क्या खो गई मेरी नींद…..
Magic filled did you play the flute,
Where did my sleep fly away,
Where is my peace lost?
Where was my heart robbed,
Magic filled did you play the flute
Mohan’s flute rang in the bridge,
Rann sankh baja gana gaur said,
Where the knowledge of Gita is sung,
Somewhere loudly,
Somewhere Kansa felt like time,
Became a thief of gopis’ mind,
Its this leela, it is understood that someone else somewhere else somewhere
You heard like this, Murli Kanhai,
Where did my sleep fly away……
I heard the sound of the flute in Vrindavan,
Since then marriage has started in my mind,
O Birha’s fire started in my body,
No one is pleasant in the courtyard of the house,
Murali made such a madman,
Have I lost my sleep…..