जब जब को हिमत हारा श्याम ने आके दिया है सहारा,
ये दया वान है ऐसा भगवान है श्याम जैसा ज़माने में कोई नहीं,
जब जब को हिमत हारा…….
कुरुशेतर में जब कौरव सब पांडव दल से हार रहे थे,
भीम और अर्जुन चुन चुन कर के योद्वाओ को मार रहे थे,
बाबा ने तब धनुष उठाया हार तो का संग देने आया,
ये दया वान है ऐसा भगवान है श्याम जैसा ज़माने में कोई नहीं,
जब जब को हिमत हारा…….
शीश का मांग ने दान मुरारी बन के विष्षु सामने आये,
श्याम ने मेरे धर्म निभाया खाली ना भगवन लौटाए,
शीश काट अर्पण कर डाला जय हो एहाल वती के लाला,
तुंमने देखा है क्या ऐसा दानी कही श्याम जैसा ज़माने में कोई नहीं,
जब जब को हिमत हारा…….
नैनो में जल भर कर माँ ने जब मेरे श्याम से अर्ज लगाई,
देर किये बिन खाटू वाले ने आके हाथ से खिचड़ी खाई,
जब जब भी इन्हे भक्त भुलाते दौड़े दौड़े श्याम है आते,
ये दया वान है ऐसा भगवान है श्याम जैसा ज़माने में कोई नहीं,
जब जब को हिमत हारा…….
Shyam has given support when he has lost his courage,
He is a merciful god, there is no one like Shyam in his time.
Whenever he lost his courage…….
When the Kauravas were losing to all the Pandavas in Kurushetara,
Bhima and Arjuna were selectively killing the warriors,
Baba then raised the bow and came to give the support of the necklace,
He is a merciful god, there is no one like Shyam in his time.
Whenever he lost his courage…….
Vishu came to the fore by asking for the head, becoming a donation murari.
Shyam fulfilled my religion, neither did God return empty,
He cut his head and put it, Jai Ho Ahal Vati’s Lala,
You have seen whether there is no one like Shyam in such a time,
Whenever he lost his courage…….
When the mother applied to my shyam by filling water in the nano,
Without delay, the eater came and ate khichdi with his hand,
Whenever the devotees ran to forget him, Shyam is coming,
He is a merciful god, there is no one like Shyam in his time.
Whenever he lost his courage…….