जन्नत का दरवाज़ा

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ना अंधी से खुलता है, ना तेज़ हवाओं से खुलता है ll
जन्नत का दरवाज़ा, नाथ के पाँव से खुलता है
ना मंत्र से खुलता है, ना माया से खुलता है
जन्नत का दरवाज़ा, नाथ की छाया से खुलता है

जन्नत का बूहा खुलते ही, फूलों से नवाज़े जाते हैं l
सुंदर से सोहने सिंघासन पर, सिद्ध नाथ विराजे जाते हैं l
लक्ष्मी के राज दुलारे पर, फिर चवर झुलाए जाते हैं,
सब देवी देवता मिलजुल कर, जोगी की महिमा गाते हैं l
ना किसी तीर से खुलता है, ना तलवार से खुलता है,  
जन्नत का दरवाज़ा, नाथ के प्यार से खुलता है l
जन्नत का दरवाज़ा,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,

बिरला कोई जाने रमज़ां नूं, ओह्दी हर एक बात निराली ऐ l
ताहीओं ही ओहदिआं चरणा ते, जग बनके खड़ा सवाली ऐ l
ओहदे हुक्म अंदर जग वस्सदा ऐ, ओहदे हुक्म बिना कोई शै ही नहीं,
ओहदे हुमक अंदर ही अब कुछ हैं, ओहदे हुक्म बिना कुझ हैं ही नहीं l
ना किसी गरूर से खुलता है, ना मगरूर से खुलता है,
जन्नत का दरवाज़ा, नाथ के नूर से खुलता है
जन्नत का दरवाज़ा,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,

इक बार बात मैं भूल गया, ज़रा सुनिए मैं बतलाता हूँ l
सब उसकी रज़ा से होता हैं, मैं जो लिखता जो गाता हूँ l
मैं क्या समझूँ मैं क्या जानू, मैं कुछ भी समझ ना पाता हूँ,
वो जो मुझसे लिखवाता हैं, बस व्ही मैं लिखता जाता हूँ l
और ये जब भी खुलता हैं, उसकी वजह से खुलता हैं l
जन्नत का दरवाज़ा, नाथ की रज़ा से खुलता है l
जन्नत का दरवाज़ा, नाथ के पाँव से खुलता है l

Neither opens with blindness, nor opens with strong winds.
The door of paradise opens at the feet of Nath
It is neither opened by mantra, nor opens by Maya.
The door of paradise opens with the shadow of Nath
As soon as the sky of paradise opens, flowers are rewarded.
Siddha Nath goes to sit on the throne to sleep with the beautiful.
On the caressed of the kings of Lakshmi, then the chavars are swung,
All the deities sing the glory of Jogi together.
Neither opens with an arrow, nor opens with a sword,
The door of heaven opens with the love of Nath.
the door of paradise,,,,,,,,,,,,,
Birla koi jaane ramzaan nun, Ohhi every single thing is unique.
Tahio hi ohdian charna te, the world stands as a question.
There is no order without rank, there is no power in the world.
The ranks are now something inside, the rank orders are not without knowledge.
Neither opens with pride, nor opens with pride,
The door of paradise opens with the noor of Nath
the door of paradise,,,,,,,,,,,,,,
I forgot the thing once, just listen, I’ll tell you.
It’s all because of his passion, what I write, what I sing.
What do I understand, what do I know, I can’t understand anything,
The one who gets me to write, only what I keep on writing.
And whenever they open, they open because of him.
The door of paradise opens with the king of Nath.
The door of paradise opens at the feet of Nath.

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