तेरे सनेह के सागर में,
तू ही समाये रहते हो,
जग तो जग ही रहा बाबा,
हम खुद से पराये रहते है,
तेरे सनेह के सागर में
दिल में तू आन वसा बाबा जैसे सीत में जोति रहती है,
पलकों में ऐसे छुपा है तू जैसे नैन की ज्योति होती है,
पलके जो उठती ओ बाबा सामने तुझको पाए है,
तेरे सनेह के सागर में……
ज़माने के कई रंगो में रंगा था खुद को ओ बाबा,
अब तो फीके लगते है सब जब से देखा तुझे बाबा,
सारे रंग जहां के मैंने तुझमे ही पाए है,
तेरे सनेह के सागर में….
खुशनसीबी है अपनी के तुझको जान लिया बाबा,
मन में भी अनुभव किया इतना दिल ने पहचान लिया बाबा,
तुझको पाकर के ओ बाबा तीनो जहां पाए है,
तेरे सनेह के सागर में
In the ocean of your love,
You stay alone
The world is still alive, Baba.
We live outside ourselves
in the ocean of your love
Like you aan fat baba in the heart, there is a joti in the seat,
It is hidden in the eyelids like you are the light of Nain,
The eyelids that rise, O Baba, have found you in front of me,
In the ocean of your love……
I had painted myself in many colors of the times, O Baba,
Now everything seems to fade since I saw you Baba,
Where I have found all the colors in you,
In the ocean of your love….
It is your luck that you have come to know Baba,
Baba felt so much in the mind too that the heart recognized him,
Having found you, O Baba, where have all the three been found,
in the ocean of your love