मन मोहन मूरत तेरी प्रभु, मिल जाओगे आप कहीं ना कहीं
यदि चाह हमारे दिल में है, तूम्हे ढ़ुंढ ही लेंगे कहीं ना कहीं
काशी मथुरा व़न्दावन में…..या अवधपुरी की गलियन में,
गंगा यमुना सरयू तट पर, मिल जाओगे आप कहीं ना कहीं
मन मोहन मुरत…
घर बार को छोड संयासी हुए, … सबको परित्याग उदासी हुए
छानेगें बन बन खाक तेरी, मिल जाओगे आप कहीं ना कहीं
मन मोहन मुरत….
सब भक्त तुम्ही को घेरेंगे…. तेरे नाम की माला फरेंगे
जब आप ही खूद सरमाओगे, हमे दर्शन दोगे कहीं ना कहीं
मन मोहन मुरत……
Man Mohan Murat, your lord, you will meet somewhere
If desire is in our heart, we will find you somewhere
In Kashi Mathura Vandavan… or in the Galleon of Awadhpuri,
On the banks of Ganga Yamuna Saryu, you will meet somewhere
Man Mohan Murat…
Leaving the bar at home, he became a sannyasin…
You will be able to find yourself somewhere.
Man Mohan Murat….
All the devotees will surround you… will garland your name.
When you yourself will shine, you will give us darshan somewhere
Man Mohan Murat……