साईं सुनता दिल की बातें,पूरी करता अर्जु,
इनके रेहमत का आसर है आज मैं जो कुछ भी हु,
माझी बनता साई बाबा नाव जब मझदार हो,
कैसे डूबे उनकी नैया साई जब आधार हो,
पार है मुझको लगाया मैं सदा सुमिरन करू,
इनकी रेहमत का असर आज मैं जो कुछ भी हु,
लाख चौरासी के फंदे साई पल में काट ता,
हो यहाँ नफरत दिलो में ये महोबत बाँट ता,
ये लुटाता सब पे खुशियां मैं ही तो झोली भरु,
इनकी रेहमत का असर है आज मैं जो कुछ बी हु,
इक ही सन्देश इनका सब का मालिक एक है,
वो ही पाते इनकी चौकठ जिनकी नीयत नेक है ,
सोनी जब साई भरोसे फिर जगत से क्यों डरु,
साईं सुनता दिल की बातें …….
Sai listens to the words of the heart, Arjun fulfills,
There is hope for their mercy, whatever I am today,
When Sai Baba’s boat becomes heavy,
How his Naiya Sai drowned when there is a base,
It is beyond me that I should always remember,
Whatever I am today because of their mercy,
The snare of lakh-four eighty would have been cut in a sai moment,
Yes, hate here divides this love in the hearts,
It is only me who spends the happiness on everyone,
The effect of their mercy is whatever I am today,
The same message is the master of all of them,
Only those who find their square whose intentions are noble,
Soni when Sai trusts then why be afraid of the world,
Sai listens to the words of the heart…….