श्रीराम अमृतवाणी

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रामामृत पद पावन वाणी, राम-नाम धुन सुधा सामानी,
पावन-पाथ राम-गन-ग्राम, राम-राम जप राम ही राम ,
परम सत्य परम विज्ञान, ज्योति-स्वरूप राम भगवान,
परमानंद, सर्वशक्तिमान राम परम है राम महान,
अमृत ​​वाणी नाम उच्चाहरान , राम-राम सुख सिद्धिकारण
अमृतवानी अमृत श्री नाम, राम-राम मुद-मंगल -धाम। … 3

अमृतरूप राम-गुण गान, अमृत-कथन राम व्याख्यान
अमृत-वचन राम की चर्चा , सुधा सम गीत राम की अर्चा … 4

अमृत ​​मनन राम का जाप, राम राम प्रभु राम अलाप
अमृत ​​चिंतन राम का ध्यान, राम शब्द में सूचि समाधन… 5

अमृत ​​रसना वही कहवा, राम-राम, जहां नाम सुहावे
अमृत ​​कर्म नाम कमानी, राम-राम परम सुखदायी … 6

अमृत ​​राम-नाम जो ही ध्यावे , अमृत पद सो ही जन पावे
राम-नाम अमृत-रास सार , देता परम आनन्द अपार … 7

राम-राम जप हे माणा , अमृत वाणी मान
राम-नाम मे राम को , सदा विराजित जान … 8

राम-नाम मद-मंगलकारी, विध्ण हरे सब पातक हारी.
राम नाम शुभ-शकुण महान, स्वस्ती शांति शिवकर कल्याण … 9।

राम-राम श्री राम-विचार, मानी उत्तम मंगलाचार.
राम-राम मन मुख से गाना, मानो मधुर मनोरथ पाना … 10।

राम-नाम जो जन मन लावे, उसमे शुभ सभी बस जावे .
जहां हो राम-नाम धुन-नाद, भागे वहा से विषम विषाद … 11

राम-नाम मन-तप्त बुझावे, सुधा रस सीच शांति ले आवे
राम-राम जपिये कर भाव, सुविधा सुविध बने बनाव . … 12।

राम-नाम सिमरो सदा, अतिशय मंगल मूल.
विषम विकट संकट हरन, कारक सब अनुकूल … 13

जपना राम-राम है सुकृत, राम-नाम है नाशक दुष्कृत .
सिमरे राम-राम ही जो जन, उसका हो शुचित्र तन-मन … 14

जिसमे राम -नाम शुभ जागे , उस के पाप -ताप सब भागे.
मन से राम -नाम जो उच्चारे , उस के भागे भ्रम भय सारे। … 15

जिस मन बस जाए राम सुनाम , होवे वह जन पूर्णकाम.
चित में राम-राम जो सिमरे, निश्चय भव सागर से तारे. … 16

राम-सिमरन होव साहै, राम-सिमरन है सुखदायी.
राम सिमरन सब से ऊंचा ,राम शक्ति सुख ज्ञान समूचा … 17

राम-राम हे सिमर मन, राम-राम श्री राम.
राम-राम श्री राम-भज, राम-राम हरि-नाम … 18

मात पिता बांधव सूत दारा, धन जन साजन सखा प्यारा .
अंत काल दे सके ना सहारा, राम -नाम तेरा तारण हारा … 19

सिमरन राम-नाम है संगी,सखा स्नेही सुहिर्द शुभ अंगी.
यूग-यूग का है राम सहेला,राम-भगत नहीं रहे अकेला … 20

निर्जन वन विपद हो घोर,निबर्ध निशा तम सब ओर .
जोत जब राम नाम की जागे , संकट सर्व सहज से भागे ..21

बाधा बड़ी विषम जब आवे , वैर विरोध विघ्न बढ़ जावे .
राम नाम जपिये सुख दाता , सच्चा साथी जो हितकर त्राता ….22.

मन जब धैर्य को नहीं पावे , कुचिन्ता चित्त को चूर बनावे
राम नाम जपे चिंता चूरक , चिंतामणि चित्त चिंतन पूरक …..23.

शोक सागर हो उमड़ा आता , अति दुःख में मन घबराता .
भजिये राम -राम बहु बार , जन का करता बेड़ा पार . …24.

करधी घरद्धि कठिनतर काल , कष्ट कठोर हो क्लेश कराल .
राम -राम जपिये प्रतिपाल , सुख दाता प्रभु दीनदयाल ….25

घटना घोर घटे जिस बेर, दुर्जन दुखरदे लेवेँ घेर.
जपिये राम-नाम बिन देर, रखिये राम-राम शुभ टेर. …26.

राम-नाम हो सदा सहायक, राम-नाम सर्व सुखदायक.
राम-राम प्रभु राम की टेक, शरण शान्ति आश्रय है एक. …27.

पूँजी राम-नाम की पाइये, पाथेय साथ नाम ले जाइये.
नाशे जन्म मरण का खटका, रहे राम भक्त नहीं अटका. …28

राम-राम श्री राम है, तीन लोक का नाथ.
परम-पुरुष पावन प्रभु, सदा का संगी साथ. …29.

यज्ञ तप ध्यान योग ही त्याग, वन कुटी वास अति वैराग.
राम-नाम बिना नीरस फोक, राम-राम जप तरिये लोक. …30.

राम-जाप सब संयम साधन, राम-जाप है कर्म आराधन.
राम-जाप है परम-अभ्यास, सिम्रो राम-नाम ‘ सुख-रास’. …31.

राम-जाप कही ऊंची करनी, बाधा विघ्न बहु दुःख हरनी.
राम -राम महा -मंत्र जपना , है सुव्रत नेम तप तपना . ….;32.

राम-जाप है सरल समाधि, हरे सब आधी व्याधि उपाधि.
रिद्धि-सिद्धि और नव-निधान, डाटा राम है सब सुख-खान. …33.

राम-राम चिन्तन सुविचार, राम-राम जप निश्चय धार.
राम-राम श्री राम-ध्याना, है परम-पद अमृत पाना. …34.

राम-राम श्री राम हरी, सहज पराम है योग.
राम-राम श्री राम जप, देता अमृत-भोग. …35

नाम चिंतामणि रत्न अमोल, राम-नाम महिमा अनमोल.
अतुल प्रभाव अति-प्रताप, राम-नाम कहा तारक जाप. …36

बीज अक्षर महा-शक्ति-कोष, राम-राम जप शुभ-संतोष.
राम -राम श्री राम -राम मंत्र , तंत्र बीज परात्पर यन्त्र . ….37.

बीजाक्षर पद पद्मा प्रकाशे, राम-राम जप दोष विनाशे.
कुण्डलिनी बोधे, सुष्मना खोले, राम मंत्र अमृत रस घोले. …38.

उपजे नाद सहज बहु-भांत, अजपा जाप भीतर हो शांत.
राम-राम पद शक्ति जगावे, राम-राम धुन जभी रमावे. …39.

राम-नाम जब जगे अभंग, चेतन-भाव जगे सुख संग.
ग्रंथि अविद्या टूटे भारी, राम-लीला की खिले फुलवारी. …40.

पतित-पावन परम-पाठ, राम-राम जप योग.
सफल सिद्धि कर साधना, राम-नाम अनुराग. …41.

तीन लोक का समझीये सार, राम-नाम सब ही सुखकार.
राम-नाम की बहुत बरदाई, वेद पुराण मुनि जन गाई. …42.

यति सती साधू संत सयाने , राम – नाम निष् -दिन बखाने .
तापस योगी सिद्ध ऋषिवर, जाप्ते राम-नाम सब सुखकर. …43.

भावना भक्ति भरे भजनीक, भजते राम-नाम रमणीक.
भजते भक्त भाव-भरपूर, भ्रम-भय भेद-भाव से दूर. …44.

पूर्ण पंडित पुरुष-प्रधान, पावन-परम पाठ ही मान.
करते राम-राम जप-ध्यान, सुनते राम अनहद तान. …45.

इस में सुरति सुर रमाते, राम राम स्वर साध समाते .
देव देवीगन दैव विधाता, राम-राम भजते गनत्राता. …46.

राम राम सुगुणी जन गाते , स्वर-संगीत से राम रिझाते .
कीर्तन-कथा करते विद्वान् , सार सरस संग साधनवान

मोहक मंत्र अति मधुर, राम-राम जप ध्यान.
होता तीनो लोक में, राम-नाम गन-गान. …48.

मिथ्या मन-कल्पित मत-जाल, मिथ्या है मोह-कुमद-बैताल.
मिथ्या मन-मुखिआ मनोराज, सच्चा है राम-राम जप काज. …49.

मिथ्या है वाद-विवाद विरोध, मिथ्या है वैर निंदा हाथ क्रोध.
मिथ्या द्रोह दुर्गुण दुःख कहाँ, राम-नाम जप सत्य निधान. …50.

सत्य-मूलक है रचना साड़ी, सर्व-सत्य प्रभु-राम पसारि.
बीज से तरु मक्करधी से तार, हुआ त्यों राम से जग विस्तार. …51.

विश्व-वृक्ष का राम है मूल, उस को तू प्राणी कभी न भूल.
सां-साँस से सीमार सुजान, राम-राम प्रभु-राम महान. …52.

लाया उत्पत्ति पालना-रूप, शक्ति-चेतना आनंद-स्वरुप.
आदि अन्त और मध्य है राम, अशरण-शरण है राम-विश्राम. …53.

राम-राम जप भाव से, मेरे अपने आप.
परम-पुरुष पालक-प्रभु, हर्ता पाप त्रिताप. …54.

राम-नाम बिना वृथा विहार, धन-धान्य सुख-भोग पसार.
वृथा है सब सम्पद सम्मान, होव तँ यथा रहित प्रान. …55.

नाम बिना सब नीरस स्वाद, ज्योँ हो स्वर बिना राग विषाद.
नाम बिना नहीं साजे सिंगार, राम-नाम है सब रस सार. …56.

जगत का जीवन जानो राम, जग की ज्योति जाज्वल्यमान.
राम-नाम बिना मोहिनी-माया, जीवन-हीं यथा तन-छाया. …57.

सूना समझीये सब संसार, जहां नहीं राम-नाम संचार.
सूना जानिये ज्ञान-विवेक, जिस में राम-नाम नहीं एक. …5

सूने ग्रन्थ पंथ मत पोथे, बने जो राम-नाम बिन थोथी.
राम-नाम बिन वाद-विचार, भारी भ्रम का करे प्रचार. …59.

राम-नाम दीपक बिना, जान-मन में अंधेर.
रहे, इस से हे मम-मन, नाम सुमाला फेर. …60

राम-राम भज कर श्री राम, करिये नित्य ही उत्तम काम.
जितने कर्त्तव्य कर्म कलाप, करिये राम-राम कर जाप. …61.

करिये गमनागम के काल, राम-जाप जो कर्ता निहाल.
सोते जागते सब दिन याम, जपिये राम-राम अभिराम. …62.

जाप्ते राम-नाम महा माला, लगता नरक-द्वार पै टाला.
जाप्ते राम-राम जप पाठ, जलते कर्म बंध यथा काठ. …63.

तान जब राम-नाम की तूती, भांडा-भरा अभाग्य भया फूटे.
मनका है राम-नाम का ऐसा, चिंता-मणि पारस-मणि जैसा. …64.

राम-नाम सुधा-रस सागर, राम-नाम ज्ञान गुण-अगर.
राम-नाम श्री राम-महाराज, भाव-सिंधु में है अतुल-जहाज. …65

राम-नाम सब तीर्थ-स्थान, राम-राम जप परम-स्नान.
धो कर पाप-ताप सब धुल, कर दे भया-भ्रम को उन्मूल. …66.

राम जाप रवि -तेज सामान महा -मोह -ताम हरे अज्ञान,
राम जाप दे आनंद महान , मिले उसे जिसे दे भगवान्. …67.

राम-नाम को सिमरिये, राम-राम एक तार.
परम-पाठ पावन-परम, पतित अधम दे तार. …68.

माँगूँ मैं राम-कृपा दिन रात, राम-कृपा हरे सब उत्पात.
राम-कृपा लेवे अंट सँभाल, राम-प्रभु है जन प्रतिपाल. …69.

राम-कृपा है उच्तर-योग, राम-कृपा है शुभ संयोग.
राम-कृपा सब साधन-मर्म, राम-कृपा संयम सत्य धर्म. …70.

राम-नाम को मन में बसाना, सुपथ राम-कृपा का है पाना.
मन में राम-धुन जब फिर, राम-कृपा तब ही अवतार. …7

रहूँ मैं नाम में हो कर लीं, जैसे जल में हो मीन अड़ीं.
राम-कृपा भरपूर मैं पाऊँ, परम प्रभु को भीतर लाऊँ. …72.

भक्ति-भाव से भक्त सुजान, भजते राम-कृपा का निधान.
राम-कृपा उस जान में आवे, जिस में आप ही राम बसावे. …73

कृपा प्रसाद है राम की देनी,
काल-व्याल जंजाल हर लेनी.
कृपा-प्रसाद सुधा-सुख-स्वाद, राम-नाम दे रहित विवाद. …74.

प्रभु-पसाद शिव-शान्ति-दाता, ब्रह्म-धाम में आप पहुँचाता.
प्रभु-प्रसाद पावे वह प्राणी, राम-राम जापे अमृत-वाणी. …75.

औषध राम-नाम की खाईये, मृत्यु जन्म के रोग मिटाइये.< राम-नाम अमृत रस-पान, देता अमल अचल निर्वाण. …76. राम-राम धुन गूँज से, भाव-भया जाते भाग. राम-नाम धुन ध्यान से, सब शुभ जाते जाग. …77 माँगूँ मैं राम-नाम महादान, करता निर्धन का कल्याण. देव-द्वार पर जनम का भूखा, भक्ति प्रेम अनुराग से रूखा. …78. पर हूँ तेरा-यह लिए टेर, चरण पारधे की राखियो मेर. अपना आप विरद-विचार, दीजिये भगवन! नाम प्यार. …79 राम-नाम ने वे भी तारे, जो थे अधर्मी-अधम हत्यारे. कपटी-कुटिल-कुकर्मी अनेक, तर गए राम-नाम ले एक. …80. तर गए धृति-धारणा हीं, धर्म-कर्म में जन अति दीन राम-राम श्री राम-जप जाप, हुए अतुल-विमल-अपाप. …81. राम-नाम मन मुख में बोले, राम-नाम भीतर पट खोले. राम-नाम से कमल-विकास. होवें सब साधन सुख-रास. …82. राम-नाम घट भीतर बसे, सांस-साँस नस-नस से रसे. सपने में भी न बिसरे नाम, राम-राम श्री राम-राम-राम. … राम-नाम के मेल से, साध जाते सब-काम. देव-देव देवी यादा, दान महा-सुख-धाम. …84. अहो! मैं राम-नाम धन पाया, कान में राम-नाम जब आया. मुख से राम-नाम जब गाया, मन से राम-नाम जब ध्याया. …85. पा कर राम-नाम धन-राशि, घोर-अविद्या विपद विनाशी. बर्धा जब राम प्रेम का पूर, संकट-संशय हो गए दूर. …86. राम-नाम जो जापे एक बेर, उस के भीतर कोष-कुबेर. दीं-दुखिया-दरिद्र-कंगाल, राम-राम जप होव निहाल. …87. हृदय राम-नाम से भरिये, संचय राम-नाम दान करिए. घाट में नाम मूर्ती धरिये, पूजा अंतर्मुख हो करिये. …88. आँखें मूँद के सुनिये सितार, राम-राम सुमधुर झनकार. उस में मन का मेल मिलाओ , राम -राम सुर में ही समाओ . ….;89. जपूँ मैं राम -राम प्रभु राम , ध्याऊँ मैं राम -राम हरे राम . सिमरूँ मैं राम -राम प्रभु राम , गाऊं मैं राम -राम श्री राम . ….90. अमृतवाणी का नित्य गाना, राम-राम मन बीच रमाणा. देता संकट-विपद निवार, करता शुभ श्री मंगलाचार. …91. राम -नाम जप पाठ से , हो अमृत संचार . राम-धाम में प्रीति हो, सुगुण-गैन का विस्तार. …92. तारक मंत्र राम है, जिस का सुफल अपार. इस मंत्र के जाप से , निश्चय बने निस्तार . …93. बोलो राम, बोलो राम, बोलो राम राम राम

रामामृत पद पावन वाणी, राम-नाम धुन सुधा सामानी,
पावन-पाथ राम-गन-ग्राम, राम-राम जप राम ही राम ,
परम सत्य परम विज्ञान, ज्योति-स्वरूप राम भगवान,
परमानंद, सर्वशक्तिमान राम परम है राम महान,
अमृत ​​वाणी नाम उच्चाहरान , राम-राम सुख सिद्धिकारण
अमृतवानी अमृत श्री नाम, राम-राम मुद-मंगल -धाम। … 3

अमृतरूप राम-गुण गान, अमृत-कथन राम व्याख्यान
अमृत-वचन राम की चर्चा , सुधा सम गीत राम की अर्चा … 4

अमृत ​​मनन राम का जाप, राम राम प्रभु राम अलाप
अमृत ​​चिंतन राम का ध्यान, राम शब्द में सूचि समाधन… 5

अमृत ​​रसना वही कहवा, राम-राम, जहां नाम सुहावे
अमृत ​​कर्म नाम कमानी, राम-राम परम सुखदायी … 6

अमृत ​​राम-नाम जो ही ध्यावे , अमृत पद सो ही जन पावे
राम-नाम अमृत-रास सार , देता परम आनन्द अपार … 7

राम-राम जप हे माणा , अमृत वाणी मान
राम-नाम मे राम को , सदा विराजित जान … 8

राम-नाम मद-मंगलकारी, विध्ण हरे सब पातक हारी.
राम नाम शुभ-शकुण महान, स्वस्ती शांति शिवकर कल्याण … 9।

राम-राम श्री राम-विचार, मानी उत्तम मंगलाचार.
राम-राम मन मुख से गाना, मानो मधुर मनोरथ पाना … 10।

राम-नाम जो जन मन लावे, उसमे शुभ सभी बस जावे .
जहां हो राम-नाम धुन-नाद, भागे वहा से विषम विषाद … 11

राम-नाम मन-तप्त बुझावे, सुधा रस सीच शांति ले आवे
राम-राम जपिये कर भाव, सुविधा सुविध बने बनाव . … 12।

राम-नाम सिमरो सदा, अतिशय मंगल मूल.
विषम विकट संकट हरन, कारक सब अनुकूल … 13

जपना राम-राम है सुकृत, राम-नाम है नाशक दुष्कृत .
सिमरे राम-राम ही जो जन, उसका हो शुचित्र तन-मन … 14

जिसमे राम -नाम शुभ जागे , उस के पाप -ताप सब भागे.
मन से राम -नाम जो उच्चारे , उस के भागे भ्रम भय सारे। … 15

जिस मन बस जाए राम सुनाम , होवे वह जन पूर्णकाम.
चित में राम-राम जो सिमरे, निश्चय भव सागर से तारे. … 16

राम-सिमरन होव साहै, राम-सिमरन है सुखदायी.
राम सिमरन सब से ऊंचा ,राम शक्ति सुख ज्ञान समूचा … 17

राम-राम हे सिमर मन, राम-राम श्री राम.
राम-राम श्री राम-भज, राम-राम हरि-नाम … 18

मात पिता बांधव सूत दारा, धन जन साजन सखा प्यारा .
अंत काल दे सके ना सहारा, राम -नाम तेरा तारण हारा … 19

सिमरन राम-नाम है संगी,सखा स्नेही सुहिर्द शुभ अंगी.
यूग-यूग का है राम सहेला,राम-भगत नहीं रहे अकेला … 20

निर्जन वन विपद हो घोर,निबर्ध निशा तम सब ओर .
जोत जब राम नाम की जागे , संकट सर्व सहज से भागे ..21

बाधा बड़ी विषम जब आवे , वैर विरोध विघ्न बढ़ जावे .
राम नाम जपिये सुख दाता , सच्चा साथी जो हितकर त्राता ….22.

मन जब धैर्य को नहीं पावे , कुचिन्ता चित्त को चूर बनावे
राम नाम जपे चिंता चूरक , चिंतामणि चित्त चिंतन पूरक …..23.

शोक सागर हो उमड़ा आता , अति दुःख में मन घबराता .
भजिये राम -राम बहु बार , जन का करता बेड़ा पार . …24.

करधी घरद्धि कठिनतर काल , कष्ट कठोर हो क्लेश कराल .
राम -राम जपिये प्रतिपाल , सुख दाता प्रभु दीनदयाल ….25

घटना घोर घटे जिस बेर, दुर्जन दुखरदे लेवेँ घेर.
जपिये राम-नाम बिन देर, रखिये राम-राम शुभ टेर. …26.

राम-नाम हो सदा सहायक, राम-नाम सर्व सुखदायक.
राम-राम प्रभु राम की टेक, शरण शान्ति आश्रय है एक. …27.

पूँजी राम-नाम की पाइये, पाथेय साथ नाम ले जाइये.
नाशे जन्म मरण का खटका, रहे राम भक्त नहीं अटका. …28

राम-राम श्री राम है, तीन लोक का नाथ.
परम-पुरुष पावन प्रभु, सदा का संगी साथ. …29.

यज्ञ तप ध्यान योग ही त्याग, वन कुटी वास अति वैराग.
राम-नाम बिना नीरस फोक, राम-राम जप तरिये लोक. …30.

राम-जाप सब संयम साधन, राम-जाप है कर्म आराधन.
राम-जाप है परम-अभ्यास, सिम्रो राम-नाम ‘ सुख-रास’. …31.

राम-जाप कही ऊंची करनी, बाधा विघ्न बहु दुःख हरनी.
राम -राम महा -मंत्र जपना , है सुव्रत नेम तप तपना . ….;32.

राम-जाप है सरल समाधि, हरे सब आधी व्याधि उपाधि.
रिद्धि-सिद्धि और नव-निधान, डाटा राम है सब सुख-खान. …33.

राम-राम चिन्तन सुविचार, राम-राम जप निश्चय धार.
राम-राम श्री राम-ध्याना, है परम-पद अमृत पाना. …34.

राम-राम श्री राम हरी, सहज पराम है योग.
राम-राम श्री राम जप, देता अमृत-भोग. …35

नाम चिंतामणि रत्न अमोल, राम-नाम महिमा अनमोल.
अतुल प्रभाव अति-प्रताप, राम-नाम कहा तारक जाप. …36

बीज अक्षर महा-शक्ति-कोष, राम-राम जप शुभ-संतोष.
राम -राम श्री राम -राम मंत्र , तंत्र बीज परात्पर यन्त्र . ….37.

बीजाक्षर पद पद्मा प्रकाशे, राम-राम जप दोष विनाशे.
कुण्डलिनी बोधे, सुष्मना खोले, राम मंत्र अमृत रस घोले. …38.

उपजे नाद सहज बहु-भांत, अजपा जाप भीतर हो शांत.
राम-राम पद शक्ति जगावे, राम-राम धुन जभी रमावे. …39.

राम-नाम जब जगे अभंग, चेतन-भाव जगे सुख संग.
ग्रंथि अविद्या टूटे भारी, राम-लीला की खिले फुलवारी. …40.

पतित-पावन परम-पाठ, राम-राम जप योग.
सफल सिद्धि कर साधना, राम-नाम अनुराग. …41.

तीन लोक का समझीये सार, राम-नाम सब ही सुखकार.
राम-नाम की बहुत बरदाई, वेद पुराण मुनि जन गाई. …42.

यति सती साधू संत सयाने , राम – नाम निष् -दिन बखाने .
तापस योगी सिद्ध ऋषिवर, जाप्ते राम-नाम सब सुखकर. …43.

भावना भक्ति भरे भजनीक, भजते राम-नाम रमणीक.
भजते भक्त भाव-भरपूर, भ्रम-भय भेद-भाव से दूर. …44.

पूर्ण पंडित पुरुष-प्रधान, पावन-परम पाठ ही मान.
करते राम-राम जप-ध्यान, सुनते राम अनहद तान. …45.

इस में सुरति सुर रमाते, राम राम स्वर साध समाते .
देव देवीगन दैव विधाता, राम-राम भजते गनत्राता. …46.

राम राम सुगुणी जन गाते , स्वर-संगीत से राम रिझाते .
कीर्तन-कथा करते विद्वान् , सार सरस संग साधनवान

मोहक मंत्र अति मधुर, राम-राम जप ध्यान.
होता तीनो लोक में, राम-नाम गन-गान. …48.

मिथ्या मन-कल्पित मत-जाल, मिथ्या है मोह-कुमद-बैताल.
मिथ्या मन-मुखिआ मनोराज, सच्चा है राम-राम जप काज. …49.

मिथ्या है वाद-विवाद विरोध, मिथ्या है वैर निंदा हाथ क्रोध.
मिथ्या द्रोह दुर्गुण दुःख कहाँ, राम-नाम जप सत्य निधान. …50.

सत्य-मूलक है रचना साड़ी, सर्व-सत्य प्रभु-राम पसारि.
बीज से तरु मक्करधी से तार, हुआ त्यों राम से जग विस्तार. …51.

विश्व-वृक्ष का राम है मूल, उस को तू प्राणी कभी न भूल.
सां-साँस से सीमार सुजान, राम-राम प्रभु-राम महान. …52.

लाया उत्पत्ति पालना-रूप, शक्ति-चेतना आनंद-स्वरुप.
आदि अन्त और मध्य है राम, अशरण-शरण है राम-विश्राम. …53.

राम-राम जप भाव से, मेरे अपने आप.
परम-पुरुष पालक-प्रभु, हर्ता पाप त्रिताप. …54.

राम-नाम बिना वृथा विहार, धन-धान्य सुख-भोग पसार.
वृथा है सब सम्पद सम्मान, होव तँ यथा रहित प्रान. …55.

नाम बिना सब नीरस स्वाद, ज्योँ हो स्वर बिना राग विषाद.
नाम बिना नहीं साजे सिंगार, राम-नाम है सब रस सार. …56.

जगत का जीवन जानो राम, जग की ज्योति जाज्वल्यमान.
राम-नाम बिना मोहिनी-माया, जीवन-हीं यथा तन-छाया. …57.

सूना समझीये सब संसार, जहां नहीं राम-नाम संचार.
सूना जानिये ज्ञान-विवेक, जिस में राम-नाम नहीं एक. …5

सूने ग्रन्थ पंथ मत पोथे, बने जो राम-नाम बिन थोथी.
राम-नाम बिन वाद-विचार, भारी भ्रम का करे प्रचार. …59.

राम-नाम दीपक बिना, जान-मन में अंधेर.
रहे, इस से हे मम-मन, नाम सुमाला फेर. …60

राम-राम भज कर श्री राम, करिये नित्य ही उत्तम काम.
जितने कर्त्तव्य कर्म कलाप, करिये राम-राम कर जाप. …61.

करिये गमनागम के काल, राम-जाप जो कर्ता निहाल.
सोते जागते सब दिन याम, जपिये राम-राम अभिराम. …62.

जाप्ते राम-नाम महा माला, लगता नरक-द्वार पै टाला.
जाप्ते राम-राम जप पाठ, जलते कर्म बंध यथा काठ. …63.

तान जब राम-नाम की तूती, भांडा-भरा अभाग्य भया फूटे.
मनका है राम-नाम का ऐसा, चिंता-मणि पारस-मणि जैसा. …64.

राम-नाम सुधा-रस सागर, राम-नाम ज्ञान गुण-अगर.
राम-नाम श्री राम-महाराज, भाव-सिंधु में है अतुल-जहाज. …65

राम-नाम सब तीर्थ-स्थान, राम-राम जप परम-स्नान.
धो कर पाप-ताप सब धुल, कर दे भया-भ्रम को उन्मूल. …66.

राम जाप रवि -तेज सामान महा -मोह -ताम हरे अज्ञान,
राम जाप दे आनंद महान , मिले उसे जिसे दे भगवान्. …67.

राम-नाम को सिमरिये, राम-राम एक तार.
परम-पाठ पावन-परम, पतित अधम दे तार. …68.

माँगूँ मैं राम-कृपा दिन रात, राम-कृपा हरे सब उत्पात.
राम-कृपा लेवे अंट सँभाल, राम-प्रभु है जन प्रतिपाल. …69.

राम-कृपा है उच्तर-योग, राम-कृपा है शुभ संयोग.
राम-कृपा सब साधन-मर्म, राम-कृपा संयम सत्य धर्म. …70.

राम-नाम को मन में बसाना, सुपथ राम-कृपा का है पाना.
मन में राम-धुन जब फिर, राम-कृपा तब ही अवतार. …7

रहूँ मैं नाम में हो कर लीं, जैसे जल में हो मीन अड़ीं.
राम-कृपा भरपूर मैं पाऊँ, परम प्रभु को भीतर लाऊँ. …72.

भक्ति-भाव से भक्त सुजान, भजते राम-कृपा का निधान.
राम-कृपा उस जान में आवे, जिस में आप ही राम बसावे. …73

कृपा प्रसाद है राम की देनी,
काल-व्याल जंजाल हर लेनी.
कृपा-प्रसाद सुधा-सुख-स्वाद, राम-नाम दे रहित विवाद. …74.

प्रभु-पसाद शिव-शान्ति-दाता, ब्रह्म-धाम में आप पहुँचाता.
प्रभु-प्रसाद पावे वह प्राणी, राम-राम जापे अमृत-वाणी. …75.

औषध राम-नाम की खाईये, मृत्यु जन्म के रोग मिटाइये.< राम-नाम अमृत रस-पान, देता अमल अचल निर्वाण. …76. राम-राम धुन गूँज से, भाव-भया जाते भाग. राम-नाम धुन ध्यान से, सब शुभ जाते जाग. …77 माँगूँ मैं राम-नाम महादान, करता निर्धन का कल्याण. देव-द्वार पर जनम का भूखा, भक्ति प्रेम अनुराग से रूखा. …78. पर हूँ तेरा-यह लिए टेर, चरण पारधे की राखियो मेर. अपना आप विरद-विचार, दीजिये भगवन! नाम प्यार. …79 राम-नाम ने वे भी तारे, जो थे अधर्मी-अधम हत्यारे. कपटी-कुटिल-कुकर्मी अनेक, तर गए राम-नाम ले एक. …80. तर गए धृति-धारणा हीं, धर्म-कर्म में जन अति दीन राम-राम श्री राम-जप जाप, हुए अतुल-विमल-अपाप. …81. राम-नाम मन मुख में बोले, राम-नाम भीतर पट खोले. राम-नाम से कमल-विकास. होवें सब साधन सुख-रास. …82. राम-नाम घट भीतर बसे, सांस-साँस नस-नस से रसे. सपने में भी न बिसरे नाम, राम-राम श्री राम-राम-राम. … राम-नाम के मेल से, साध जाते सब-काम. देव-देव देवी यादा, दान महा-सुख-धाम. …84. अहो! मैं राम-नाम धन पाया, कान में राम-नाम जब आया. मुख से राम-नाम जब गाया, मन से राम-नाम जब ध्याया. …85. पा कर राम-नाम धन-राशि, घोर-अविद्या विपद विनाशी. बर्धा जब राम प्रेम का पूर, संकट-संशय हो गए दूर. …86. राम-नाम जो जापे एक बेर, उस के भीतर कोष-कुबेर. दीं-दुखिया-दरिद्र-कंगाल, राम-राम जप होव निहाल. …87. हृदय राम-नाम से भरिये, संचय राम-नाम दान करिए. घाट में नाम मूर्ती धरिये, पूजा अंतर्मुख हो करिये. …88. आँखें मूँद के सुनिये सितार, राम-राम सुमधुर झनकार. उस में मन का मेल मिलाओ , राम -राम सुर में ही समाओ . ….;89. जपूँ मैं राम -राम प्रभु राम , ध्याऊँ मैं राम -राम हरे राम . सिमरूँ मैं राम -राम प्रभु राम , गाऊं मैं राम -राम श्री राम . ….90. अमृतवाणी का नित्य गाना, राम-राम मन बीच रमाणा. देता संकट-विपद निवार, करता शुभ श्री मंगलाचार. …91. राम -नाम जप पाठ से , हो अमृत संचार . राम-धाम में प्रीति हो, सुगुण-गैन का विस्तार. …92. तारक मंत्र राम है, जिस का सुफल अपार. इस मंत्र के जाप से , निश्चय बने निस्तार . …93. बोलो राम, बोलो राम, बोलो राम राम राम

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