मेरे बाबा झोपड़ी देखन में के जाय

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एक भोला भगत बाबा श्याम के खाटू मंदिर में जाकर उन्हें अपनी कुटिया में आने का निमंत्रण देता है | इस पर बाबा श्याम ने उस भक्त से कहा – “मुझे खाटू में रहकर कई भक्तों का न्याय करना पड़ता है,अगर मैं तुम्हारी कुटिया में आ गया तो मेरे खाटू में आये भक्तों की सुनाई कौन करेगा?” परन्तु वो भक्त भी कहाँ मानने वाला था,आखिर उस भक्त ने किस प्रकार से बाबा को अपने आँगन में आने पर विवश किया…जरा आप भी सुनिए…

मेरे बाबा…मेरे बाबा…ओ मेरे बाबा…
मत रुकिए दिन दो चार
झोपड़ी देखन में के जाय
झोपड़ी देखन में के जाय…की कुटिया देखन में के जाय
मेरे बाबा…मेरे बाबा…ओ मेरे बाबा…
मत रुकिए दिन दो चार

मेरी कुटिया में गर पाँव धरे
कुण सा महापर एहसान करे
मेरे बाबा…मेरे बाबा…ओ मेरे बाबा…
यो तेरा ही परिवार
प्रेम म्हांसू राखन में के जाय
मेरे बाबा मत रुकिए दिन दो चार

गर भगत तेरी मनुहार करे
कुण सा तेरे सर भार चढ़े
मेरे बाबा…मेरे बाबा…ओ मेरे बाबा…
थोड़ा मंहगा पड़े पकवान
दो रोटी सेकण में के जाय
दो फलका सेकण में के जाय
मेरे बाबा मत रुकिए दिन दो चार

ये भगत तेरे सै प्यार करे
तेरा रोज रोज इन्तजार करे
मेरे बाबा…मेरे बाबा…ओ मेरे बाबा…
तू आ चाहे मत आय
संदेसा भजन में के जाय
मेरे बाबा मत रुकिए दिन दो चार

कुटिया मेरी मज़बूरी सै
तन्नै भी बुलाना जरुरी सै
बनवारी…बनवारी…बनवारी…
मत करिये करीबी भूल
बात या सोचन में के जाय
मेरे बाबा मत रुकिए दिन दो चार

मेरे बाबा…मेरे बाबा…ओ मेरे बाबा…
मत रुकिए दिन दो चार
झोपड़ी देखन में के जाय

मेरे बाबा…मेरे बाबा…ओ मेरे बाबा…
मत रुकिए दिन दो चार
झोपड़ी देखन में के जाय
झोपड़ी देखन में के जाय…की कुटिया देखन में के जाय
मेरे बाबा…मेरे बाबा…ओ मेरे बाबा…
मत रुकिए दिन दो चार

मेरी कुटिया में गर पाँव धरे
कुण सा महापर एहसान करे
मेरे बाबा…मेरे बाबा…ओ मेरे बाबा…
यो तेरा ही परिवार
प्रेम म्हांसू राखन में के जाय
मेरे बाबा मत रुकिए दिन दो चार

गर भगत तेरी मनुहार करे
कुण सा तेरे सर भार चढ़े
मेरे बाबा…मेरे बाबा…ओ मेरे बाबा…
थोड़ा मंहगा पड़े पकवान
दो रोटी सेकण में के जाय
दो फलका सेकण में के जाय
मेरे बाबा मत रुकिए दिन दो चार

ये भगत तेरे सै प्यार करे
तेरा रोज रोज इन्तजार करे
मेरे बाबा…मेरे बाबा…ओ मेरे बाबा…
तू आ चाहे मत आय
संदेसा भजन में के जाय
मेरे बाबा मत रुकिए दिन दो चार

introduction:
A gullible Bhagat goes to Baba Shyam’s Khatu temple and invites him to come to his hut. On this Baba Shyam said to that devotee – “I have to judge many devotees by staying in Khatu, if I come to your hut, who will listen to the devotees who come to my Khatu?” But where was that devotee also going to believe, after all how did that devotee compel Baba to come to his courtyard… just listen…
My baba… my baba… oh my baba…
don’t stop day two four
go to see the hut
Look at the hut, go to see the cottage
My baba… my baba… oh my baba…
don’t stop day two four
stay in my hut
do some great favors
My baba… my baba… oh my baba…
yo your family
May love be in Mhansu Rakhan
don’t stop my baba day two four
If you please Bhagat
Kun sa your head burdened
My baba… my baba… oh my baba…
slightly expensive dish
Let’s take two bread pieces
Let the two face in the section
don’t stop my baba day two four
Ye Bhagat Tere Sai Pyaar Kari
wait for you everyday
My baba… my baba… oh my baba…
you don’t want to come
Message to be done in hymn
don’t stop my baba day two four
Kutiya Meri Majboori Sai
It is necessary to call Tannai too.
Banwari…Banwari…Banwari…
don’t make a close mistake
talk or think
don’t stop my baba day two four
My baba… my baba… oh my baba…
don’t stop day two four
go to see the hut

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