दुनिया के द्वारो से मैं ठोकर खा के श्याम धनि आई हु तेरे द्वार,
मेरी सुनी हो गई मांग सो गया बगियाँ का माली,
छोड़ चले भरताल,
दुनिया के द्वारो से मैं ठोकर खा के श्याम धनि आई हु तेरे द्वार,
तारा सा टुटा है हुआ रोग न कोई,
चली आई दर तेरे संजोग है कोई,
क्या बिगड़ा ऐसा कर्म मेरी क्यों किस्मत फूटी,
रूठ गये करतार,
दुनिया के द्वारो से मैं ठोकर खा के श्याम धनि आई हु तेरे द्वार,
बनता है कुछ भी न सिवा एक रोने से,
खुशियों से झूमि थी बिन देख गोने के,
कितने ही लुटा सुहाग न छूटी हाथो के मेहँदी रह गई मैं मजधार,
दुनिया के द्वारो से मैं ठोकर खा के श्याम धनि आई हु तेरे द्वार,
कहते है तुम सब की बिगड़ी बनाते हो,
दुखियो के दातारि दुखड़े मिटाते हो,
करे आज विनती ये अभागी झोली फैला के,
भीख दया की डाल,
दुनिया के द्वारो से मैं ठोकर खा के श्याम धनि आई हु तेरे द्वार,
विनती सुनी जो न तन मैं भी त्यागु गी,
तेरी चौकठ पे घनश्याम खुद को मिटा दूंगी,
अब हाथो में तेरे डुबोदे या कर दे तू पार,
वर्मा लुटा संसार,
दुनिया के द्वारो से मैं ठोकर खा के श्याम धनि आई हु तेरे द्वार,
I stumbled from the gates of the world and I came to Shyam Dhani at your door.
The gardener of the gardeners fell asleep, I heard the demand,
Leave it, Bharatal
I stumbled from the gates of the world and I came to Shyam Dhani at your door.
Broken like a star, no one has a disease,
The rate is gone, your love is someone,
What spoiled my karma why my luck broke,
Angry Kartar,
I stumbled from the gates of the world and I came to Shyam Dhani at your door.
Nothing is made except one cry,
I was swinging with happiness without looking at it,
How many plundered suhaag was not left, I was left with henna,
I stumbled from the gates of the world and I came to Shyam Dhani at your door.
It is said that you make everyone spoiled.
Remove the sorrows of the suffering people,
Make a request today, by spreading this unfortunate bag,
begging of mercy,
I stumbled from the gates of the world and I came to Shyam Dhani at your door.
Listened to the request which neither my body nor I would give up,
Ghanshyam will destroy myself on your square,
Now dip your hands in your hands or do you cross,
Verma looted the world,
I stumbled from the gates of the world and I came to Shyam Dhani at your door.