तर्ज- दिल के अरमा आंसुओं में बह गए…
टेक- सतगुरु का सन्देश यह बतला रहा,
सारा जीवन यूँ ही बीता जा रहा ।
तुझ को अमृत भी मिला पर ना पीया,
विष को तू मदहोश पीटा जा रहा ।
सतगुरु का…
तू रहा विषयों में सुख को खोजता,
काँटों में फूलों की खुशबू चाह रहा ।
सतगुरु का…
अपने दुःख से तू नहीं इतना दुखी,
दूसरों का सुख ना देखा जा रहा ।
सतगुरु का…
औरों का दिल जीतेगा कैसे भला,
तुझ से अपना मन ना जीता जा रहा ।
सतगुरु का…
The lines- Arma of the heart was swept away in tears…
Tech- Satguru’s message kept telling,
The whole life is going on like this.
You even got nectar but did not drink it,
You are being drunk with poison.
Satguru’s…
You were looking for happiness in subjects,
Wanting the fragrance of flowers in the thorns.
Satguru’s…
You are not so sad with your sorrow,
Not seeing the happiness of others.
Satguru’s…
How will it win the hearts of others?
I am not winning my mind from you.
Satguru’s…