पीर सासरो छोड़ दियो जी एक नही मानी रे
श्याम की दीवानी मीरां कृष्ण की दीवानी रे
जहर का प्याला राणा ने भेजा,
तनिक नही घबराई रे,
निरख निरख कर रूप श्याम को,
पी गई मीरां बाई रे ,
अमृत बन गया जहर का प्याला,
किसी से न छाणी रे,
श्याम की दीवानी मीरां,
कृष्ण की दीवानी रे,
छोड़ दियो चित्तोड़ मीरा ने,
वृन्दावन मैं आगी रे ,
संतो के संग सतसंगत मैं,
झुमके नाचण लागी रे ,
गोपी का अवतार है मीरां,
संतो ने पिछाणी रे ,
श्याम की दीवानी मीराँ,
कृष्ण की दीवानी रे,
विरह वेदना बढ़ती गई तब,
हुक हिये मैं जागी रे,
धाम द्वारिका जाकर मीरां,
गिरधर मैं ही समागी रे,
प्रेम की अद्भत माया देखी,
पप्पूशर्मा ” जानी रे,
श्याम की दीवानी मीराँ,
कृष्ण की दीवानी रे,
Pir sasaro leave ji ek nahi maani re
Shyam Ki Deewani Meeran Krishna Ki Deewani Re
Rana sent the cup of poison,
Don’t be scared at all,
By looking after the form Shyam,
I drank Mira Bai Re,
Amrit has become a poison cup,
Do not touch anyone
Shyam’s crazy Meera,
Krishna’s crazy Ray,
Leave Chittor Meera,
I will proceed to Vrindavan,
I am consistent with the saints,
Jhumke dance lagi re,
Meera is the incarnation of Gopi.
The saints did the last thing,
Shyam’s crazy Meera,
Krishna’s crazy Ray,
When the pain of separation increased,
Hook hiye I woke up,
Meera by going to Dham Dwarka,
Girdhar, I am only samagi re,
I saw the wonderful love of love,
Pappusharma “Jani re,
Shyam’s crazy Meera,
Krishna’s crazy Ray,