इक तेरे भरोसे मैं रहना चाहूं गिरधारी,
किरपा तेरी मिल जाए,
तेरे चरणों की बलिहारी,
इक तेरे भरोसे मैं रहना चाहूं गिरधारी.
ईक विनती करूं तुमसे,
अवगुण पे न ध्यान धरो,
मिट जाए वासना मेरी,
हृदय में प्रेम भरो,
नही क्लेश रहे मन में,
नहीं द्वेष रहे मन में,
किरपा तेरी मिल जाए…..
कभी मन के दरवाजे पे,
खुद ही तुम आया करो,
प्यासे को पानी की तरह,,
मुझको भी भाया करो,
प्राणों के भी प्राण हो,
भक्ति का वरदान दो,
किरपा तेरी मिल जाए…..
मेरी कामना है ये,
कामना कोई ना करूं ,
तेरा सब तुझको सौंप कर,
आनंद तेरा दरशन करूं,
ये दिल हो चुका है तेरा,
तू भी बन जा ना मेरा
किरपा तेरी मिल जाए…….
श्रधेय बलराम जी उदासी
बिलासपुर (C.G.)
I want to stay in your trust, Girdhari,
Kirpa may meet you,
The sacrifice of your feet,
I want to stay in your trust, Girdhari.
I beg you,
Do not pay attention to the demerits,
May my lust be erased,
fill your heart with love,
There is no trouble in your mind,
Don’t have hatred in your mind,
Kirpa teri mil jaye…..
Sometimes at the door of the mind,
you come yourself
like water to the thirsty,
love me too
Let the souls also have their lives,
Give the boon of devotion,
Kirpa teri mil jaye…..
I wish this
wish no one
By handing over your all to you,
May I see you Anand,
This heart has become yours,
you also become mine
Kirpa teri mil jaye……
revered balram ji sad
Bilaspur (C.G.)