श्याम तन श्याम मन श्याम ही है हमारो धन,
आठों याम ऊधो हमे श्याम ही सों काम है।हे श्यामसुंदर रोम रोम से आपकी याद आती रहे।क्षण भर के लिए भी आपकी याद न छूटने पाए। ये आंखें सदैव आपके प्रेमाश्रु जल से भीगी रहें।
हे श्यामसुंदर हे प्राणधन जीवन वैसे तो मेरी क्या बिसात की आपको याद करूं। ये सब आप ही तो हैं जो सदैव बिना हेतु के कृपा करके अपनी याद दिलाते रहते हैं।
इस कपट भरे संसार मे भला ऐसा कृपामय कोन है जो बिना कुछ किये ऐसे ढरे रहते हैं।
हे माधव हे भक्तवत्सल आपसे ये प्रेम सदैव बढ़ाते रहिये ।आपकी कृपा से एक दिन ऐसा समय भी आएगा जब प्रत्यक्ष आपके दर्शन कर पाऊंगा। तब तक बस आपका ये विरह ऐसे ही आंखों के रास्ते बहता रहे। इतनी कृपा रखना मेरे जीवन धन।
Shyam Tan Shyam Man Shyam is our wealth,
Eight yaam udho we are shyam hi sona work. O Shyamsundar, keep on remembering you from Rome. Do not miss your memory even for a moment. May these eyes always be wet with the water of your love.
O Shyamsundar, oh life’s life, by the way, should I remember you on my chessboard? It is you who always keep reminding yourself without any reason.
In this deceitful world, there is such a gracious person who stays like this without doing anything.
O Madhav, oh Bhaktvatsal, keep on increasing this love to you always. By your grace a day will come when I will be able to see you directly. Till then, only this separation of yours keeps flowing through the eyes like this, have so much grace, my life’s wealth.