श्री आदित्य हृदय स्तोत्र

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आदित्य हृदय स्तोत्र का वर्णन अगस्त्य ऋषि द्वारा भगवान राम को युद्ध में विजय प्राप्त करने के लिए किया गया था। आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ जो नियमित करते हैं उन्हें अप्रत्याशित लाभ मिलता है। जैसे कि नौकरी में पदोन्नति, धन प्राप्ति, प्रसन्नता, आत्मविश्वास के साथ-साथ समस्त कार्यों में सफलता मिलती है। हर मनोकामना पूर्ण होती है।

विनियोग

➡️ॐ अस्य आदित्य हृदयस्तोत्रस्यागस्त्यऋषिरनुष्टुपछन्दः, आदित्येहृदयभूतो
भगवान ब्रह्मा देवता निरस्ताशेषविघ्नतया ब्रह्मविद्यासिद्धौ सर्वत्र जयसिद्धौ च विनियोगः।

गायत्री मंत्र

➡️ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्।

श्री आदित्य हृदय स्तोत्र अर्थ सहित 

➡️ततो युद्धपरिश्रान्तं समरे चिन्तया स्थितम्‌ ।
रावणं चाग्रतो दृष्ट्वा युद्धाय समुपस्थितम्‌ ॥1॥
➡️दैवतैश्च समागम्य द्रष्टुमभ्यागतो रणम्‌ । उपगम्याब्रवीद् राममगस्त्यो भगवांस्तदा ॥2॥
हिंदी अर्थ: उधर श्री रामचन्द्रजी युद्ध से थककर चिन्ता करते हुए रणभूमि में खड़े थे। इतने में रावण भी युद्ध के लिए उनके सामने उपस्थित हो गया। यह देख भगवान अगस्त्य मुनि, जो देवताओं के साथ युद्ध देखने के लिए आये थे, श्रीराम के पास जाकर बोले।

➡️राम राम महाबाहो श्रृणु गुह्मं सनातनम्‌ ।
येन सर्वानरीन्‌ वत्स समरे विजयिष्यसे ॥3॥

हिंदी अर्थ: ‘सबके हृदय में रमण करने वाले महाबाहो राम ! यह सनातन गोपनीय स्तोत्र सुनो। वत्स ! इसके जप से तुम युद्ध में अपने समस्त शत्रुओं पर विजय पा जाओगे।’

➡️आदित्यहृदयं पुण्यं सर्वशत्रुविनाशनम्‌ ।
जयावहं जपं नित्यमक्षयं परमं शिवम्‌ ॥4॥
➡️सर्वमंगलमागल्यं सर्वपापप्रणाशनम्‌ । चिन्ताशोकप्रशमनमायुर्वर्धनमुत्तमम्‌ ॥5॥

हिंदी अर्थ: ‘इस गोपनीय स्तोत्र का नाम है ‘आदित्यहृदय’। यह परम पवित्र और सम्पूर्ण शत्रुओं का नाश करने वाला है। इसके जप से सदा विजय की प्राप्ति होती है। यह नित्य अक्ष्य और परम कल्याणमय स्तोत्र है। सम्पूर्ण मंगलों का भी मंगल है। इससे सब पापों का नाश हो जाता है। यह चिन्ता और शोक को मिटाने तथा आयु को बढ़ाने वाला उत्तम साधन है।’

➡️रश्मिमन्तं समुद्यन्तं देवासुरनमस्कृतम्‌ ।
पुजयस्व विवस्वन्तं भास्करं भुवनेश्वरम्‌ ॥6॥

हिंदी अर्थ: ‘भगवान सूर्य अपनी अनन्त किरणों से सुशोभित (रश्मिमान्) हैं। ये नित्य उदय होने वाले (समुद्यन्), देवता और असुरों से नमस्कृत, विवस्वान् नाम से प्रसिद्ध, प्रभा का विस्तार करने वाले (भास्कर) और संसार के स्वामी (भुवनेश्वर) हैं। तुम इनका (रश्मिमते नमः, समुद्यते नमः, देवासुरनमस्कताय नमः, विवस्वते नमः, भास्कराय नमः, भुवनेश्वराय नमः इन नाम मंत्रों के द्वारा) पूजन करो।’

➡️सर्वदेवात्मको ह्येष तेजस्वी रश्मिभावन: ।
एष देवासुरगणांल्लोकान्‌ पाति गभस्तिभि: ॥7॥

हिंदी अर्थ: ‘सम्पूर्ण देवता इन्हीं के स्वरूप हैं। ये तेज की राशि तथा अपनी किरणों से जगत को सत्ता एवं स्फूर्ति प्रदान करने वाले हैं। ये ही अपनी रश्मियों का प्रसार करके देवता और असुरों सहित सम्पूर्ण लोकों का पालन करते हैं।’

➡️एष ब्रह्मा च विष्णुश्च शिव: स्कन्द: प्रजापति: । महेन्द्रो धनद: कालो यम: सोमो ह्यापां पतिः ॥8॥
➡️पितरो वसव: साध्या अश्विनौ मरुतो मनु: । वायुर्वहिन: प्रजा प्राण ऋतुकर्ता प्रभाकर: ॥9॥

हिंदी अर्थ: ‘ये ही ब्रह्मा, विष्णु, शिव, स्कन्द, प्रजापति, इन्द्र, कुबेर, काल, यम, चन्द्रमा, वरूण, पितर, वसु, साध्य, अश्विनीकुमार, मरुदगण, मनु, वायु, अग्नि, प्रजा, प्राण, ऋतुओं को प्रकट करने वाले तथा प्रभा के पुंज हैं।’

➡️आदित्य: सविता सूर्य: खग: पूषा गभस्तिमान्‌ । सुवर्णसदृशो भानुर्हिरण्यरेता दिवाकर: ॥10॥
➡️हरिदश्व: सहस्त्रार्चि: सप्तसप्तिर्मरीचिमान्‌ । तिमिरोन्मथन: शम्भुस्त्वष्टा मार्तण्डकोंऽशुमान्‌ ॥11॥
➡️हिरण्यगर्भ: शिशिरस्तपनोऽहस्करो रवि: । अग्निगर्भोऽदिते: पुत्रः शंखः शिशिरनाशन: ॥12॥
व्योमनाथस्तमोभेदी ऋग्यजु:सामपारग: । ➡️घनवृष्टिरपां मित्रो विन्ध्यवीथीप्लवंगमः ॥13॥
आतपी मण्डली मृत्यु: पिगंल: सर्वतापन:। ➡️कविर्विश्वो महातेजा: रक्त:सर्वभवोद् भव: ॥14॥
➡️नक्षत्रग्रहताराणामधिपो विश्वभावन: । तेजसामपि तेजस्वी द्वादशात्मन्‌ नमोऽस्तु ते ॥15॥

हिंदी अर्थ: ‘इन्हीं के नाम आदित्य (अदितिपुत्र), सविता (जगत को उत्पन्न करने वाले), सूर्य (सर्वव्यापक), खग (आकाश में विचरने वाले), पूषा (पोषण करने वाले), गभस्तिमान् (प्रकाशमान), सुर्वणसदृश, भानु (प्रकाशक), हिरण्यरेता (ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति के बीज), दिवाकर (रात्रि का अन्धकार दूर करके दिन का प्रकाश फैलाने वाले), हरिदश्व (दिशाओं में व्यापक अथवा हरे रंग के घोड़े वाले), सहस्रार्चि (हजारों किरणों से सुशोभित), तिमिरोन्मथन (अन्धकार का नाश करने वाले), शम्भू (कल्याण के उदगमस्थान), त्वष्टा (भक्तों का दुःख दूर करने अथवा जगत का संहार करने वाले), अंशुमान (किरण धारण करने वाले), हिरण्यगर्भ (ब्रह्मा), शिशिर (स्वभाव से ही सुख देने वाले), तपन (गर्मी पैदा करने वाले), अहरकर (दिनकर), रवि (सबकी स्तुति के पात्र), अग्निगर्भ (अग्नि को गर्भ में धारण करने वाले), अदितिपुत्र, शंख (आनन्दस्वरूप एवं व्यापक), शिशिरनाशन (शीत का नाश करने वाले), व्योमनाथ (आकाश के स्वामी), तमोभेदी (अन्धकार को नष्ट करने वाले), ऋग, यजुः और सामवेद के पारगामी, घनवृष्टि (घनी वृष्टि के कारण), अपां मित्र (जल को उत्पन्न करने वाले), विन्ध्यीथीप्लवंगम (आकाश में तीव्रवेग से चलने वाले), आतपी (घाम उत्पन्न करने वाले), मण्डली (किरणसमूह को धारण करने वाले), मृत्यु (मौत के कारण), पिंगल (भूरे रंग वाले), सर्वतापन (सबको ताप देने वाले), कवि (त्रिकालदर्शी), विश्व (सर्वस्वरूप), महातेजस्वी, रक्त (लाल रंगवाले), सर्वभवोदभव (सबकी उत्पत्ति के कारण), नक्षत्र, ग्रह और तारों के स्वामी, विश्वभावन (जगत की रक्षा करने वाले), तेजस्वियों में भी अति तेजस्वी तथा द्वादशात्मा (बारह स्वरूपों में अभिव्यक्त) हैं। (इन सभी नामों से प्रसिद्ध सूर्यदेव !) आपको नमस्कार है।’

➡️नम: पूर्वाय गिरये पश्चिमायाद्रये नम: । ज्योतिर्गणानां पतये दिनाधिपतये नम: ॥16॥

हिंदी अर्थ: ‘पूर्वगिरी उदयाचल तथा पश्चिमगिरि अस्ताचल के रूप में आपको नमस्कार है। ज्योतिर्गणों (ग्रहों और तारों) के स्वामी तथा दिन के अधिपति आपको प्रणाम है।’

➡️जयाय जयभद्राय हर्यश्वाय नमो नम: । नमो नम: सहस्त्रांशो आदित्याय नमो नम: ॥17॥

हिंदी अर्थ: ‘आप जय स्वरूप तथा विजय और कल्याण के दाता है। आपके रथ में हरे रंग के घोड़े जुते रहते हैं। आपको बारंबार नमस्कार है। सहस्रों किरणों से सुशोभित भगवान सूर्य ! आपको बारंबार प्रणाम है। आप अदिति के पुत्र होने  के कारण आदित्य नाम से प्रसिद्ध है, आपको नमस्कार है।’

➡️नम उग्राय वीराय सारंगाय नमो नम: । नम: पद्मप्रबोधाय प्रचण्डाय नमोऽस्तु ते ॥18॥

हिंदी अर्थ: उग्र,वीर,और सारंग सूर्यदेव आपको नमस्कार है | कमलो को अपना तेज देकर विकसित करनेवाले मार्तण्ड आपको नमस्कार है |

➡️ब्रह्मेशानाच्युतेशाय सुरायादित्यवर्चसे । भास्वते सर्वभक्षाय रौद्राय वपुषे नम: ॥19॥

हिंदी अर्थ: ‘(परात्पर रूप में) आप ब्रह्मा, शिव और विष्णु के भी स्वामी हैं। सूर आपकी संज्ञा हैं, यह सूर्यमण्डल आपका ही तेज है, आप प्रकाश से परिपूर्ण हैं, सबको स्वाहा कर देने वाला अग्नि आपका ही स्वरूप है, आप रौद्ररूप धारण करने वाले हैं, आपको नमस्कार है।’

➡️तमोघ्नाय हिमघ्नाय शत्रुघ्नायामितात्मने । कृतघ्नघ्नाय देवाय ज्योतिषां पतये नम: ॥20॥

हिंदी अर्थ: ‘आप अज्ञान और अन्धकार के नाशक, जड़ता एवं शीत के निवारक तथा शत्रु का नाश करने वाले हैं, आपका स्वरूप अप्रमेय है। आप कृतघ्नों का नाश करने वाले, सम्पूर्ण ज्योतियों के स्वामी और देवस्वरूप हैं, आपको नमस्कार है।’

➡️तप्तचामीकराभाय हरये विश्वकर्मणे । नमस्तमोऽभिनिघ्नाय रुचये लोकसाक्षिणे ॥21॥

हिंदी अर्थ: ‘आपकी प्रभा तपाये हुए सुवर्ण के समान है, आप हरि (अज्ञान का हरण करने वाले) और विश्वकर्मा (संसार की सृष्टि करने वाले) हैं, तम के नाशक, प्रकाशस्वरूप और जगत के साक्षी हैं, आपको नमस्कार है।’

➡️नाशयत्येष वै भूतं तमेष सृजति प्रभु: । पायत्येष तपत्येष वर्षत्येष गभस्तिभि: ॥22॥

हिंदी अर्थ: ‘रघुनन्दन ! ये भगवान सूर्य ही सम्पूर्ण भूतों का संहार, सृष्टि और पालन करते हैं। ये ही अपनी किरणों से गर्मी पहुँचाते और वर्षा करते हैं।’

➡️एष सुप्तेषु जागर्ति भूतेषु परिनिष्ठित: ।
एष चैवाग्निहोत्रं च फलं चैवाग्निहोत्रिणाम्‌ ॥23॥

हिंदी अर्थ: ‘ये सब भूतों में अन्तर्यामीरूप से स्थित होकर उनके सो जाने पर भी जागते रहते हैं। ये ही अग्निहोत्र तथा अग्निहोत्री पुरुषों को मिलने वाले फल हैं।’

➡️देवाश्च क्रतवश्चैव क्रतुनां फलमेव च ।
यानि कृत्यानि लोकेषु सर्वेषु परमं प्रभु: ॥24॥

हिंदी अर्थ: ‘(यज्ञ में भाग ग्रहण करने वाले) देवता, यज्ञ और यज्ञों के फल भी ये ही हैं। सम्पूर्ण लोकों में जितनी क्रियाएँ होती हैं, उन सबका फल देने में ये ही पूर्ण समर्थ हैं।’

➡️एनमापत्सु कृच्छ्रेषु कान्तारेषु भयेषु च ।
कीर्तयन्‌ पुरुष: कश्चिन्नावसीदति राघव ॥25॥

हिंदी अर्थ: ‘राघव ! विपत्ति में, कष्ट में, दुर्गम मार्ग में तथा और किसी भय के अवसर पर जो कोई पुरुष इन सूर्यदेव का कीर्तन करता है, उसे दुःख नहीं भोगना पड़ता।’

➡️पूजयस्वैनमेकाग्रो देवदेवं जगप्ततिम्‌ । एतत्त्रिगुणितं जप्त्वा युद्धेषु विजयिष्यसि ॥26॥

हिंदी अर्थ: ‘इसलिए तुम एकाग्रचित होकर इन देवाधिदेव जगदीश्वर की पूजा करो। इस आदित्य हृदय स्तोत्र का तीन बार जप करने से तुम युद्ध में विजय पाओगे।’

➡️अस्मिन्‌ क्षणे महाबाहो रावणं त्वं जहिष्यसि । एवमुक्ता ततोऽगस्त्यो जगाम स यथागतम्‌ ॥27॥

हिंदी अर्थ: ‘महाबाहो ! तुम इसी क्षण रावण का वध कर सकोगे।’ यह कहकर अगस्त्य जी जैसे आये थे, उसी प्रकार चले गये।

➡️एतच्छ्रुत्वा महातेजा नष्टशोकोऽभवत्‌ तदा ॥ धारयामास सुप्रीतो राघव प्रयतात्मवान्‌ ॥28॥
➡️आदित्यं प्रेक्ष्य जप्त्वेदं परं हर्षमवाप्तवान्‌ । त्रिराचम्य शूचिर्भूत्वा धनुरादाय वीर्यवान्‌ ॥29॥
➡️रावणं प्रेक्ष्य हृष्टात्मा जयार्थं समुपागतम्‌ । सर्वयत्नेन महता वृतस्तस्य वधेऽभवत्‌ ॥30॥

हिंदी अर्थ: उनका उपदेश सुनकर महातेजस्वी श्रीरामचन्द्रजी का शोक दूर हो गया। उन्होंने प्रसन्न होकर शुद्धचित्त से आदित्य हृदय को धारण किया और तीन बार आचमन करके शुद्ध हो भगवान सूर्य की ओर देखते हुए इसका तीन बार जप किया। इससे उन्हें बड़ा हर्ष हुआ। फिर परम पराक्रमी रघुनाथजी ने धनुष उठाकर रावण की ओर देखा और उत्साहपूर्वक विजय पाने के लिए वे आगे बढ़े। उन्होंने पूरा प्रयत्न करके रावण के वध का निश्चय किया।

➡️अथ रविरवदन्निरीक्ष्य रामं मुदितमना: परमं प्रहृष्यमाण: ।
निशिचरपतिसंक्षयं विदित्वा सुरगणमध्यगतो वचस्त्वरेति ॥31॥

हिंदी अर्थ: उस समय देवताओं के मध्य में खड़े हुए भगवान सूर्य ने प्रसन्न होकर श्रीरामचन्द्रजी की ओर देखा और निशाचराज रावण के विनाश का समय निकट जानकर हर्षपूर्वक कहा ‘रघुनन्दन ! अब जल्दी करो’



Aditya Hriday Stotra was narrated by sage Agastya to Lord Rama to win the battle. Those who regularly recite Aditya Hriday Stotra get unexpected benefits. Such as promotion in job, getting money, happiness, self-confidence as well as success in all work. Every wish is fulfilled.

Appropriation

➡️Om This Aditya Hridaya Stotra is chanted by the sage Agastya in the Anuṣṭupa chant, and is the heart of the sun Lord Brahma, the deity, by removing all obstacles, is the sacrifice for the attainment of Brahma-vidya and the attainment of victory everywhere.

Gayatri Mantra

➡️Om Bhurbhuvah Svah Tatsavitur Varenya Bhargo Devasya Dhimahi Dhiyo Yo Nas Prachodyat.

Sri Aditya Hriday Stotra with meaning.

➡️Then, exhausted from the battle, he stood in the battlefield worried. Seeing Ravana in front preparing for battle ➡️He met the gods and came to see the battle. Then venerable Agastya approached Rama and addressed him as follows Meanwhile, Sri Ramachandraji was standing in the battlefield, worried and tired from the battle. Meanwhile, Ravana also appeared before them for battle. Seeing this, Lord Agastya Muni, who had come to watch the battle with the gods, went to Sri Rama and spoke.

➡️Rama, Rama, mighty-armed one, hear this eternal secret. By this, O child, you will conquer all your enemies in battle.

English Meaning: ‘Mahabaho Ram, who delights in everyone’s heart! Listen to this eternal secret hymn. Child ! By chanting it you will get victory over all your enemies in battle.

➡️The heart of the sun is sacred and destroys all enemies. This ever inexhaustible and supremely auspicious chanting brings victory. ➡️It is auspicious and destroys all sins. It is the best reliever of anxiety and sorrow and increaser of life.

English Meaning: ‘The name of this secret hymn is ‘Adityahridaya’. He is the most holy and the destroyer of all enemies. Its chanting always leads to victory. This is eternally inexhaustible and supreme welfare stotra. There is also Mars of all Mars. This destroys all sins. It is the best means of eradicating worry and grief and prolonging life.

➡️The rays of the sun are rising and are worshiped by the devas and asuras. Worship Vivasvan the sun lord of the worlds.

Hindi Meaning: ‘Lord Sun is adorned (rashmiman) with his infinite rays. They are the ever-rising (Samudyan), worshiped by the gods and demons, known as Vivasvan, the expander of light (Bhaskar) and the lord of the world (Bhuvanesvara). You worship them (by the name mantras Rashmimate Namah, Samudyate Namah, Devasuranamaskataya Namah, Vivasvate Namah, Bhaskara Namah, Bhuvaneshwara Namah).

➡️He is the source of all the gods and is effulgent and radiant. With his rays he protects the worlds of devatas and asuras

English Meaning: ‘All the gods are in their form. He is the one who gives power and energy to the world with the amount of effulgence and his rays. It is they who spread their rays and maintain the whole world including the gods and demons.’

➡️This is Brahmā, Vishnu, Śiva, Skanda and Prajāpati. Mahendra is the giver of wealth Kala is Yama and Soma is the lord of waters. ➡️The forefathers are the Vasus, the Sādhyas, the Aśvinī-kumāras, the Maruts and the Manu. The wind carries the living beings and the sun creates the seasons

Hindi meaning: ‘These are Brahma, Vishnu, Shiva, Skanda, Prajapati, Indra, Kuber, Kaal, Yama, Moon, Varuna, Pitra, Vasu, Sadhya, Ashwini Kumar, Marudgan, Manu, Vayu, Agni, Praja, Prana, the seasons. They are the manifestations and the beams of Prabha.’

➡️The sun is the sun-god, the sun-god is the bird, and the moon is the sun-god. The Sun resembles gold and the Sun shines like gold ➡️The green horse is a thousand-lighted, seven-seven-lighted horse. Shambhu destroyer of darkness Tvashta Martandaka and Anshuman ➡️The golden embryo is the winter, the heat, the day, the sun. The son of Aditi was Agnigarbha who destroyed the winter He is the master of the sky and can pierce the darkness. He is well versed in the Ṛg, Yajur and Sāma Vedas. ➡️Heavy rain is a friend of water and floats on the streets of Vindhya. The scorching congregation is death: the pigment is the all-heating. ➡️The poet is the universe, the effulgent, the red, the source of all beings. ➡️He is the master of the constellations, planets and stars and the creator of the universe. O most effulgent among the effulgent, O Soul of the twelve, I offer my obeisances unto Thee.

Hindi Meaning: ‘The names of these are Aditya (Aditiputra), Savita (the creator of the world), Surya (omnipotent), Khaga (the one who moves in the sky), Pusha (the nurturer), Gabhastiman (Luminous), golden-looking, Bhanu ( Illuminator), Hiranyreta (the seed of the origin of the universe), Divakara (the one who spreads the light of day by dispelling the darkness of the night), Haridashva (the one who is broad in the directions or the green colored horse), Sahasrarchi (beautified with a thousand rays), Timironmathan (the darkness Destroyer), Shambhu (the origin of well-being), Tvashta (the one who removes the sorrow of the devotees or destroys the world), Anshuman (bearer of rays), Hiranyagarbha (Brahma), Shishir (the one who gives happiness by nature) , Tapan (producer of heat), Aharkar (dinkar), Ravi (worthy of praise to all), Agnigarbha (one who conceives fire), Aditiputra, Shankha (blissful and pervasive), Shishirnashan (destroyer of cold) , Vyomnath (lord of the sky), Tamobhedi (destroyer of darkness), Transcendant of Rig, Yajuh and Samaveda, Ghanavrishti (causing heavy rain), Apam Mitra (creator of water), Vindhyathiplavanga Ma (moving fast in the sky), Aatapi (producer of gloom), Mandali (bearer of beams), Mrityu (causing death), Pingal (brown-coloured), Sarvatapan (one who gives heat to all), Poet (Trikaldarshi), Visva (all forms), Mahatejasvi, Rakta (red-coloured), Sarvabhavodbhava (the cause of the origin of all), Nakshatra, lord of planets and stars, Visvabhavan (protector of the world), very brilliant among the tejasvians and the Dwadashatma ( expressed in twelve forms). (Suryadev, known by all these names!) Salutations to you.’

➡️Om to the mountain in the east and to the mountain in the west. O lord of the hosts of luminaries lord of the day I offer my obeisances unto thee.

English Meaning: Greetings to you as Purvagiri Udayachal and Paschimgiri Astachal. Salutations to you, the lord of the Jyotirganas (planets and stars) and the ruler of the day.

➡️Obeisances to Jaya, Jayabhadra and Haryaśva. “Obeisances to you who are a thousand parts of the sun Obeisances to you”

Hindi Meaning: ‘You are Jai Swaroop and giver of victory and welfare. In your chariot, green colored horses keep plying. Greetings to you again and again. Lord Surya adorned with thousands of rays! Many thanks to you. You are famous by the name Aditya because of being the son of Aditi, salutations to you.’

➡️Om Ugraya Veeraya Sarangaya Namah. Obeisances to You who awaken from the lotus and to You who are tremendous.

English Meaning: Fiery, Brave and Sarang Suryadev Salutations to you. Salutations to you, Martand, who has developed by giving his glory to the lotus.

➡️O Lord of Brahma, Lord of Acyuta, Lord of the gods, O Lord of the sun, O shining all-devouring dreadful body I offer my obeisances unto thee.

Hindi Meaning: ‘(In Paratpar form) You are also the lord of Brahma, Shiva and Vishnu. Sur is your noun, this solar system is your own brilliance, you are full of light, the fire that destroys everyone is your form, you are going to take the form of fierceness, salutations to you.’

➡️O destroyer of darkness, destroyer of snow, destroyer of enemies, immeasurable soul. O lord of the luminaries destroyer of the ungrateful

English Meaning: ‘You are the destroyer of ignorance and darkness, the remover of inertia and cold, and the destroyer of enemies, your nature is unmatchable. You are the destroyer of the ungrateful, the lord of all lights and the form of God, salutations to you.’

➡️O Lord Visvakarma, you are as bright as burning gold. Obeisances to you who destroy darkness and who are tasteful and who witness the worlds.

English Meaning: ‘Your radiance is like burnt gold, you are Hari (the remover of ignorance) and Vishwakarma (the creator of the world), the destroyer of Tama, the embodiment of light and the witness of the world, salutations to you.’

➡️He destroys the past, but He creates it. He gives water to the earth He gives heat to the earth He showers rain with his rays

English Meaning: Raghunandan! It is Lord Surya who destroys, creates and maintains all the ghosts. It is they who bring heat and rain with their rays.

➡️He is present in the beings who are awake while they are asleep. This also is the Agnihotra and also the fruits of the performers of Agnihotra.

English Meaning: ‘All these being situated within the ghosts, remain awake even when they are asleep. These are the fruits of Agnihotra and Agnihotri men.

➡️The gods and the sacrifices and the fruits of the sacrifices. Whatever deeds the supreme lord performed in all the worlds

English Meaning: ‘The gods (who take part in the Yagya), these are also the fruits of the Yagya and Yagyas. He is fully capable of giving the fruits of all the actions that take place in all the worlds.

➡️He helps us in times of trouble, difficulty, desert and fear. O Rama no one gets depressed by chanting his name

Hindi meaning: ‘Raghav! In adversity, in trouble, in inaccessible path and on the occasion of any other fear, a person who chants this sun god, he does not have to suffer.’

➡️Worship Him with one mind, the God of the gods, the Lord of the universe. By chanting this mantra three times you will be victorious in battles.

English Meaning: ‘Therefore you should concentrate and worship this god, Jagadishwar. By chanting this Aditya Hriday Stotra thrice, you will win the battle.’

➡️At this moment, O mighty-armed one, you will defeat Ravana. Thus addressed Agastya departed exactly as he had come

Hindi meaning: ‘Great! You will be able to kill Ravana at this very moment.’ Saying this Agastya left just as he had come.

➡️Hearing this the effulgent Rama lost his grief O Rama the selfcontrolled Rama held it with great pleasure ➡️He chanted the Vedas and felt supreme joy when he saw the sun. Having performed three ablutions he became pure and the mighty Rama took up his bow ➡️Seeing Ravana, he was delighted and came to conquer him. With great effort the killing of Rama was carried out

English Meaning: After listening to his sermon, the mourning of the great Shri Ramchandraji went away. He was pleased and held Aditya’s heart with a pure mind and after coming three times, he became pure and chanted it thrice while looking at the Sun God. This made him very happy. Then the mighty Raghunathji raised his bow and looked at Ravana and enthusiastically proceeded to win. He tried his best and decided to kill Ravana.

➡️Then the sun, looking at Rama, was overjoyed and overjoyed. Having learned of the demise of the lord of the nightrangers he spoke in the midst of the host of devatas saying ‘Hurry up’

English Meaning: At that time Lord Surya, standing in the midst of the deities, looked pleased at Shri Ramchandraji and, knowing the time of the destruction of Ravana, the demon king, was near and said with joy, ‘Raghunandan! Hurry up now

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