हो मेरी झोपड़ी के भाग आज खुल जाएँगे श्याम आएँगे

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हो मेरी झोपड़ी के भाग आज खुल जाएँगे श्याम आएँगे। आज मेरा दिल इन पंक्तियों पर लिख रहा है। मुझे अच्छा लिखना भी नहीं आता फिर भी मैं लिख रहा हूं। मुझ से कुछ mistake हो जाए तो क्षमा करना। मेरी काया की झोपड़ी में मेरे स्वामी भगवान् नाथ जगत के रचयिता परमेश्वर स्वामी मेंरे प्राण प्रिय जिनको मैं हर क्षण अपने दिल में बिठाकर निहारना चाहता हूँ। मेरे श्यामसुन्दर आ रहे हैं। काया की झोपड़ी में श्यामसुन्दर के आगमन पर शुभ गुणों से सज गयी है।
डीप जलाकर दीवाली मनाउगी भगवान् नाथ के आने से कोठरी में चेतना जागृत होकर प्रकाशमान हो गई है। झोंपड़ी में प्रकाश का पूंज चमकता हुआ ऎसे लग रहा है कि दिपो की पंक्तियाँ प्रजलीत होकर मैं जन्म जन्मांतर की दीवाली मना रहा हैं।काया कोठरी कहती हैं कि मेरे स्वामी भगवान् नाथ के आने से मेरे जन्मो के पाप परमात्मा के प्रकाश में जल गए हैं। आज इस कोठरी का भाग्य जग गया है। मेरे भगवान जिन्हें मैं प्रेम से श्री राम जी, श्री कृष्ण जी, कान्हा, शिव शंकर, कभी सांवरिया कहती दीनदयाल दीनानाथ सर्वज्ञ कभी सर्व शक्तिमान प्रभु प्राण नाथ कह कर अपने दिल में समा लेना चाहती हूं वे मेरे परमात्मा जी काया कोठरी में आये हैं। आज इस कोठरी में जितने भी पवित्र गुण है उनका मै भोजन बनाकर श्यामसुन्दर को प्यार से भोग लगाऊंगा आज आत्मा राधा परमात्मा में समा जाएंगी। मेरे भगवान नाथ सर्व गुण सम्पन्न सत्य के दाता जिनके लिए दिल में मिलन की तङफ हर पल बनी रहती है वे मेरे प्राण धन आज कोठरी को अपने प्रेम से तृप्त करने आयें हैं। आज ये तन पुरण ब्रह्म परमेशवर का धाम बन गया है। मुझे तन का होश नहीं रहा। मन परमात्मा को ध्याते हुए आनंद मगन हो रहा है। अपने प्रभु को शिश नवाता नमन और वन्दन करता है आज नैनो में कृपा निधान का नुर समा गया है। आज जगत की हर चीज में मेरे भगवान् की छवि दिखाई दे रही है। भगवान् राम ने मेरे रोम रोम को प्रकाशित कर दिया है। हे जङ चेतन के मालिक मै तुम मे समा जाऊँ।
जय श्री राम अनीता गर्ग



Yes, the parts of my hut will be opened today, Shyam will come. Today my heart is writing on these lines. I do not even know how to write well, yet I am writing. Sorry if I make some mistake. In the hut of my body, my lord Bhagwan Nath, the creator of the world, the creator of the world, is dear to me, whom I want to behold every moment by sitting in my heart. My Shyamsundar is coming. Kaya’s hut is decorated with auspicious qualities upon the arrival of Shyamsundar. With the arrival of Lord Nath, I will celebrate Diwali by lighting a lamp. The beam of light is shining in the hut, it seems that I am celebrating Diwali after birth after birth by lighting up the rows of lamps. Today the fate of this closet has woken up. My God whom I want to merge in my heart by lovingly saying Shri Ram ji, Shri Krishna ji, Kanha, Shiv Shankar, sometimes Saawariya, Deendayal Dinanath, Omniscient, sometimes the almighty Lord Pran Nath, He has come in my body. Today, I will prepare food for all the holy qualities in this cell and offer it to Shyamsundar with love, today the soul will be absorbed in the Supreme Soul Radha. My Lord Nath, the giver of all the virtues of truth, for whom there is always a moment of union in the heart, he has come today to satisfy my life and wealth with his love. Today this body has become the abode of Puran Brahm Parameshwar. I was not aware of my body. The mind is becoming blissful while meditating on the Supreme Soul. The child bows down to his lord and bows down to him. Today the image of my Lord is visible in everything in the world. Lord Rama has illuminated my Rom Rom. O master of consciousness, I may merge with you. Jai Shri Ram Anita Garg

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