हे श्यामसुंदर नहीं गंगा सी मैं पावन

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नहीं गंगा सी मैं पावन
कैसे चरण पखारूँ
नहीं दृष्टि ऐसी भगवन
दो क्षण तुम्हें निहारूँ

कोई जप तप नहीं है मेरा
साधना मेरी में बल ना
तेरा नाम निकले न मुख से
कैसे तुम्हें पुकारूँ
नहीं गंगा सी……

भटकी हूँ नाथ मेरे
जब से तुमसे हूँ बिछड़ी
जन्मों की बिगड़ी हरि जी
कैसे कहो सुधारूँ
नहीं गंगा सी ……..

मेरा हाथ पकड़ो साँवल
नहीं कोई और मेरा
हैं जगत के रिश्ते झूठे
बस तुमको ही पुकारूँ
नहीं गंगा सी……..

निर्धन हूँ बिन तुम्हारे
तुम ही धन हो मेरा
अश्रु तुम्हें चढ़ाऊँ
तेरी आरती उतारूँ
नहीं गंगा सी ……..

जन्मों की है प्रतीक्षा
आ जाओ नाथ मेरे
क्षण क्षण विरह जलाये
तेरी राह मैं बुहारूँ
नहीं गंगा सी मैं पावन
कैसे चरण पखारूँ
नहीं दृष्टि ऐसी भगवन
दो क्षण तुम्हें निहारूँ

जय जय श्री राधेश्याम



No, I am pure in the Ganges. how to step no vision such a god look at you for two moments

No chanting is my penance Sadhana is not my strength your name does not come out of your mouth how to call you No Ganga Si……

I am lost my Nath since i lost you Hari ji spoiled the births how to improve No Ganga Si……..

hold my hand no one else mine The world’s relations are false just call you No Ganga Si……..

am poor without you you are my wealth give you tears take your aarti No Ganga Si……..

waiting for births come nath me burn momentarily I will sweep your way No, I am pure in the Ganges. how to step no vision such a god look at you for two moments

Jai Jai Shri Radheshyam

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