परम पिता परमात्मा को प्रणाम है ।हे परम प्रभु भगवान नाथ मै पुरा जीवन ऐसे ही घुमती रही। मैंने तुम्हारा सच्चा चिन्तन नहीं किया ।मै अपने मन को तुम्हारे चरणों में एकाग्र नहीं कर पायी। हे भगवान नाथ अब तक ये आंखें बन्द ही थी। मै सोयी हुई थी ।तभी तो बाहर ही बाहर भटकती रही। मुझमें मै व्यापक था इसलिए मुझे लगता मै भगवान का चिन्तन मनन और सिमरण कर रही हूं। भगवान मेरी छोटी बुद्धि हैं। यह विशाल सोच भी नहीं सकती है। मेरी अन्तर्मन यह नहीं देख पाया कि तुम मेरा हर घडी हर पल कैसे आखं की पुतली की तरह ध्यान रखते हो। कभी कभी अंह में आकर मेरे प्रभु मेरे स्वामी भगवान नाथ ये भी कहा होगा। मै तुम्हें दिल में बिठा लु। लेकिन मैं कभी दिल की धड़कन को चलाने वाले परम पिता परमात्मा को धङकन सुन नहीं पायी महसूस नहीं कर पायी। तुम श्वास रूप से प्राणों में मोजुद हो। ये शरीर तुम्हारी रचना है इस मे जब तक तुम्हारा निवास है तभी तक सांस चलती है जिस दिन सांस छुट जाएगी पानी का बुदबुदा फुट जाएगा। हे स्वामी भगवान् नाथ इस दासी के अन्दर खोट भरे हुए हैं। हे मेरे मालिक तुम परम पिता परमात्मा हो भुल को क्षमा कर देना मेरे स्वामी। आप मुर्ति में हो वैसे कण कण में हो तुम ही मेरी स्वर लहरी बन कर अन्तर्मन को गुंजायमान करते हैं मेरे भगवान मै तुम्हे देख नहीं पाती हूं। तुम आत्मा की चेतना हो दिल में सब शुभ गुण आप ही हो। ये दासी आपके चरणों की धुल को मस्तक पर सजाती है। नहीं नहीं मेरे भगवान ये दुरी अब कैसे सही जाये। इस भाव में दो का भेद है मै मिट जाना चाहता है और तुम मे सब समा जाना चाहता है तुम्हारा रूप बन जाए। मै की मै मर गई। तु ही तु रह गया। आत्मचिंतन में मै नहीं है जगत नहीं है शरीर नहीं है सुक्ष्म रूप में परम तत्व परमात्मा है। आत्मा परमात्मा प्रकाश का पुंज हैं जय श्री राम अनीता गर्ग
Salutations to the Supreme Father, the Supreme Soul. O Supreme Lord, Bhagwan Nath, my whole life revolved around like this. I did not really think of you. I could not concentrate my mind on your feet. O Lord Nath, these eyes were still closed till now. I was sleeping. Only then kept wandering outside. I was comprehensive in me, so I feel that I am contemplating and meditating on God. God is my little intellect. It can’t even think big. My conscience could not see how you take care of me like an eye every moment. Sometimes coming in ego, my lord my lord Bhagwan Nath must have said this too. I will put you in my heart. But I have never been able to hear the beat of the Supreme Father, the Supreme Soul, who drives the heartbeat. You are present in the soul through the breath. This body is your creation, as long as you live in it, the breath goes on till the day you leave the breath, the water bubbles will burst. O Swami Bhagwan Nath, this maid is full of flaws. O my master, you are the Supreme Father, the Supreme Soul, forgive the mistake, my lord. You are in the image, you are in every particle, you become my voice and resonate the inner soul, my God, I cannot see you. You are the consciousness of the soul, you are all the good qualities in your heart. This maid decorates the dust of your feet on the head. No no my God how can this distance be correct now. There is a difference of two in this sense, I want to disappear and everything in you wants to become your form. I’m dead You are the only one left. In self-contemplation, I am not there, there is no world, there is no body, in a subtle form the supreme element is the Supreme Soul. The soul is a bundle of divine light Jai Shri Ram Anita Garg
One Response
It’s hard to find educated people on this topic, but you seem like you know what you’re talking about! Thanks